जनपद हापुड़ में भीषण गर्मी के चलते आंखों की नमी सूख रही है, एलर्जी और शुष्कपन से मरीजों का बुरा हाल है। नेत्र रोग की ओपीडी में पहुंच रहे 40 फीसदी मरीजों में ड्राई आई सिंड्रोम (आंखों का पानी सूखना) के लक्षण मिल रहे हैं। इसके अलावा डायरिया का असर भी बढ़ रहा है।
इन दिनों गर्मी अपने चरम पर है। तेज धूप और भीषण गर्मी से आंखों के मरीज बढ़ रहे है। गर्मियों के मौसम में स्किन के साथ-साथ आंखों को भी खास देखभाल की जरूरत होती है। इस मौसम में आंखों पर धूप और प्रदूषण का बुरा असर पड़ता है। इससे आंखों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं।
जिला अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अतुल आनंद ने बताया कि धूप, गर्मी और गर्म हवा के थपेड़े आंखों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। दोपहर में ज्यादा देर तक बाहर रहने से आंखों की नमी सूख रही है। ओपीडी में ड्राई आई सिंड्रोम के लक्षण वाले मरीजों की तादाद चार गुना तक बढ़ गई है। वहीं, जो पूर्व में इसकी चपेट में रहे, उनकी तकलीफ दोबारा उभर रही है। आंखों में चुभन, कड़ापन, मांसपेशियों में अकडन होती है। आंखों में नमी बनाने वाली आंसू की परत (टियर फिल्म) सूख रही है।
इसका समय पर इलाज न हो तो आंखों में सूजन आने लगती है। आंख की ऊपरी परत में जख्म बनने लगते हैं। ओपीडी में पहुंच रहे 150 में से 50-60 मरीज इससे पीड़ित मिल रहे हैं। विशेषज्ञ के मुताबिक सूरज से निकलने वाली पराबैगनी किरणों से आंखों में कार्नियल बर्न हो रहा है। इसकी वजह से धुंधला दिखने लगता है पर यह मोतियाबिंद या नजर का कोई दोष नहीं है। कुछ एहतियात और दवा से ठीक हो जाता है।
डॉ. अतुल आनंद ने बताया कि गर्मियों में कई लोग एसी में घंटों बैठे रहते हैं। कार्यालय में एसी चलाकर कंप्यूटर पर कार्य करते हैं। ऐसे लोग भी इस समस्या की चपेट में आ सकते हैं। इससे बचाव के लिए एसी का तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रखें। चेहरा सीधे एसी से निकलने वाली हवा के संपर्क में न आने पाए।