हापुड़ सरकार की ओर से लोगों के लिए कई लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं इस योजनाओं में से एक योजना आयुष्मान योजना भी है। आयुष्मान कार्ड के तहत आप 5 लाख रुपए तक का फ्री में अपना इलाज करवा सकते हैं। लेकिन ऐसे में गंभीर और असाध्य रोगों से जूझ रहे हापुड़ के सैकड़ों परिवार आर्थिक तंगी में हैं, लेकिन इन परिवारों के आयुष्मान कार्ड नहीं बन सके हैं। कई मरीजों के उपचार में घर, दुकान तक बिक गए हैं, फिर भी हालत में सुधार नहीं आया। ऐसे तीमारदार स्वास्थ्य विभाग की दहलीज पर पहुंच रहे हैं, लेकिन योजना की नियमावली समझाकर लोगों को मायूस लौटाया जा रहा है।
वर्ष 2018 में आयुष्मान योजना शुरू हुई थी, शासन से ही उस समय 258424 पात्रों की सूची स्वास्थ्य विभाग को भेजी गई थी। इसके बाद अंत्योदय, राशन कार्ड, श्रम विभाग में पंजीकृत और 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को समय-समय पर योजना से जोड़ने का आदेश आता रहा। लेकिन वास्तव में जो लोग गंभीर बीमार हैं, उन्हें जोड़ने की कोई कवायद नहीं हुई।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को यह अधिकार ही नहीं दिया गया है कि ऐसे मरीजों का सत्यापन कर इन्हें योजना से लाभांवित कर सकें। जिले के मेडिकल कॉलेजों से लेकर मेरठ, दिल्ली, गाजियाबाद के महंगे अस्पतालों में असाध्य रोगों से लड़ रहे हापुड़ के मरीजों को आर्थिक मदद की दरकार है। लेकिन योजना की जटिलता उन्हें तिल तिल मरने पर मजबूर कर रही है।
जिले में 337428 लोगों के आयुष्मान कार्ड बने हैं। लेकिन इनमें सिर्फ 50 हजार को ही उपचार मिला है। जिनके सापेक्ष प्राइवेट अस्पताल 30 करोड़ से ज्यादा क्लेम ले चुके हैं। अधिकांश मरीजों का उपचार भी निजी अस्पतालों में ही हुआ है।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- ने बताया की आयुष्मान कार्ड बन सकते हैं। जिला स्तर पर सूची में नया नाम नहीं जोड़ा जा सकता है। हालांकि गंभीर रोगियों को मुख्यमंत्री सहायता कोष से राहत मिल सकती है। इसके लिए उन्हें अस्पताल के बिलों के साथ आवेदन करना होगा।