जनपद हापुड़ में गो-आश्रय स्थलों में रहने वाले निराश्रित पशुओं के लिए अब हरे चारे की समस्या नहीं होगी। इसके लिए गांवों में खाली पड़ी सरकारी भूमियों पर चारागाह विकसित किए जाएंगे। दोनों चारागाह में नेपियर घास उगाई जाएगी, जिससे पांच सालों तक पशुओं को हरे चारे की कमी नहीं होगी।
हापुड़ ब्लॉक के नौ गोवंश आश्रय स्थलों में 1140 निराश्रित गोवंश रह रहे हैं। जो भूसा, पुआल, ज्वार पर आश्रित हैं। चारा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिमाह हजारों रुपये खर्च किया जाता है। लेकिन अब इस समस्या का निस्तारण किया जा रहा है। इसके लिए शासन ने संबंधित ब्लॉक के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि गांवों में खाली पड़ी सरकारी भूमि को चारागाह के रूप में प्रयोग किया जाए।
इस पर घास उगाकर पशुओं के चारा उपलब्ध कराएं। जिससे निराश्रित पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या नहीं होगी। पहले चरण में जल्द ही गांव बदनौली और उपैड़ा में चारागाह बनाई जाएगी। जबकि गांव बदनौली में चार बीघा भूमि पर चारगाह बनेगा। दोनों चारागाहों में नेपियर घास उगाई जाएगी। इसके बाद अन्य गांवों को भी इसके लिए चिन्हित किया जाएगा।
खंड विकास अधिकारी अभिमन्यू सेठ ने बताया कि एक चारागाह पर नेपियर घास उगाने के लिए लगभग पचास हजार रुपये खर्च होंगे। एक बार बुआई होने के बाद पांच साल तक गोवंशों को हरा चारा मिलता रहेगा। वहीं, सड़कों पर घूमने वाले निराश्रित पशुओं को चारे की कमी न रहे और वे किसानों की फसल को नुकसान न पहुंचाएं, इसके लिए इन पशुओं को चारागाह की भूमि के आसपास रखा जाएगा। ताकि घास खाकर इनकी भूख मिटती रहे ।
बाबूगढ़ क्षेत्र और हापुड़ के आसपास के क्षेत्रों में इनकी संख्या अधिक है। ऐसे में प्राथमिकता के आधार पर चारागाह की भूमि को चिन्हित किया जा रहा है।