जनपद हापुड़ में एक माह से आलू की बंपर पैदावार के बाद जहां आलू के गिरते दामों से किसान परेशान थे सरसों की फसल की पैदावार इस बार बेहतर हुई है, वही अब उन्हें सरसों की बेहतर फसल होने के फायदे की जगह परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सरसों की खरीद के लिए न तो सरकारी क्रय केंद्र बनाए गए हैं और न ही किसानों को सरसों का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मिल पा रहा है। ऐसे में भाकियू के नेता अब प्रशासन के खिलाफ इस ढुलमुल रवैये को देखकर रणनीति बनाने में जुटे गए हैं।
सरसों की फसल की पैदावार इस बार अच्छी हुई है। किसानों को उम्मीद थी कि जिस तरह से सरसों की पैदावार पिछले साल कम रही थी और उसके दाम बाजार में गत वर्ष तरह ऊंचे रहे थे, उसी तरह इस बार भी उन्हें कम से कम सरकारी दाम मिल ही जाएंगे। जबकि बाजार में इस बार सरसों के दाम काफी कम है।
सरसों के दाम बाजार में इस समय 41 सौ रुपये प्रति कुंतल से लेकर 45 सौ रुपये प्रति कुंतल तक है। जबकि सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रुपये प्रति कुंतल घोषित किया गया है। सरसों को बेचने के लिए किसान इधर से उधर भटकते घूम रहे हैं ताकि उन्हें अपनी फसल का अच्छा और बेहतर दाम मिल सके, लेकिन उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य तो दूर की बात रही, उसके आसपास के दाम भी नहीं मिल पा रहे हैं। जिसके चलते सरसों उत्पादक किसान परेशान हैं।
हापुड़ के भाकियू मंडल उपाध्यक्ष बबलू उर्फ आमिर ने कहा कि जिस तरह से प्रशासन किसानों के साथ इस साल लगातार खिलवाड़ कर रहा है, अब उससे किसान परेशान हो चुका है। या तो किसान को सरसों का एमएसपी पर खरीददारी की जाएगी अथवा किसान सड़कों पर उतरकर अपने हक के लिए संघर्ष करेगा।