हापुड़ में नगर पालिका अधिकारियों के कारनामे का एक बड़ा सच एमआरएफ सेंटर (मेटेरियल रिकवरी फैसलिटी) है। करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से बना यह सेंटर आज कूड़े में तब्दील हो चुका है। कूड़े को अलग- अलग करने वाली लाखों रुपये की कीमत वाली मशीनें विद्युत कनेक्शन न होने के कारण एक साल बाद भी चालू नहीं हो सकी हैं। कूड़े के ढेर में खड़ी इन मशीनों में अब जंग भी लगने लगी है। ऐसे में स्वच्छता अभियान को भी पलीता लगाया जा रहा है।
जहां स्वच्छ भारत मिशन को लेकर अभियान चलाया जा रहा है वहां जमीनी हकीकत कुछ और ही है। शहर को स्वच्छ बनाने के लिए घरों से निकलने वाले सूखे कूड़े का निस्तारण जरूरी है। इसके लिए ही शासन ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत एमआरएफ सेंटर बनाने के निर्देश दिए थे। नगर पालिका को शहर में चार सेंटर बनाने हैं, इनमें से सिकंदर गेट वाला एक सेंटर करीब डेढ़ साल पहले बनकर तैयार हो चुका है। यहां तक कि कूड़े को अलग-अलग करने वाली मशीनें भी कई माह से रखी हुई हैं। ऐसे में मशीनों के द्वारा कूड़े को अलग-अलग नहीं किया जा रहा है।
हालांकि, कुछ लोगों का परिवार वहीं रहकर कूड़े से पॉलीथिन और अन्य जरूरी सामान आदि को अलग कर रहा है। इस सेंटर का उद्देश्य कूड़े को बेचकर नगर पालिका की आय को बढ़ाना भी है। ऐसे में शासन के आदेशों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को भी पलीता लगाया जा रहा है।
कूड़े को अलग-अलग करने के लिए युवती, महिलाएं, युवक, बुजुर्गों के अलावा कुछ छोटे बच्चों को भी लगाया गया है। जबकि, बच्चों से श्रम कराना कानूनी अपराध है। इसके बाद भी खुलेआम यह हो रहा है। इस प्रकार से नगर पालिका के एमआरएफ सेंटर में बच्चों से काम कराकर सारे नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और अधिकारी कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।
अधिशासी अधिकारी मनोज कुमार- ने बताया की जल्द ही विद्युत कनेक्शन होने वाला है। इसके बाद मशीनों की शुरूआत हो जाएगी। मौके पर बच्चे काम कर रहे हैं तो इसकी जांच कराकर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।