हापुड़। यूपी इन्वेस्टर्स समिट के दौरान उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हापुड़ जिले में किए गए 583 एमओयू (MOU) अब तक अपेक्षित परिणाम नहीं दे सके हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री डैशबोर्ड की अप्रैल रिपोर्ट में जिले को 10 में से सिर्फ 2 अंक मिले हैं और हापुड़ को प्रदेश में 65वां स्थान मिला है। शासन ने जिले को ‘ई’ ग्रेड में रखा है।
हापुड़ में अब तक केवल 29.75 प्रतिशत एमओयू ही वाणिज्यिक उत्पादन के स्तर तक पहुंच पाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि परियोजनाओं के धरातल पर न उतरने का सबसे बड़ा कारण सस्ती जमीन की अनुपलब्धता है। जिले में जमीनों की बढ़ती कीमत और आगामी सर्किल रेट में संभावित बढ़ोतरी से उद्यमियों की चिंता और गहरी हो गई है।
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प्रशासनिक अड़चनों ने भी बढ़ाई मुश्किलें
एमओयू से जुड़े कई निवेश प्रस्ताव विभागीय एनओसी में देरी और अन्य प्रशासनिक बाधाओं के चलते ठंडे बस्ते में चले गए हैं। निवेशकों की रुचि होने के बावजूद नीतिगत और आधारभूत ढांचे की चुनौतियों ने परियोजनाओं की प्रगति को प्रभावित किया है।
इन 583 प्रस्तावों से अनुमानित तौर पर 2 लाख 28 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना जताई गई थी, लेकिन अधिकांश परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं।
158 नए उद्योगों का रास्ता साफ, लेकिन कार्य में देरी
उद्योग विभाग के अनुसार, 158 नए उद्योगों के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को पूर्ण कर लिया गया है और इन्हें जल्द ही धरातल पर उतारा जाएगा। हालांकि, प्रशासन ने यह भी माना कि कुछ विलंब अभी शेष है।
जल्द होगी उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक
उद्योग विभाग की एक अहम बैठक इसी माह लखनऊ में प्रस्तावित है, जिसमें जिले में सस्ती सरकारी जमीन, एनओसी से जुड़ी अड़चनें, और उद्यमियों की ज़मीनी समस्याएं वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष रखी जाएंगी।
एडीएम संदीप कुमार ने बताया कि,
“जिले में साइन हुए एमओयू के सापेक्ष लगातार सुधारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं। सस्ती जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने और विभागीय प्रक्रियाएं सरल बनाने को लेकर लगातार काम हो रहा है। हमें उम्मीद है कि आने वाली रैंकिंग में जिले की स्थिति बेहतर होगी।”
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