हापुड़। मोनाड विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट और डिग्री तैयार करने के बहुचर्चित मामले में मंगलवार को न्यायालय ने आठ आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। इन आरोपियों की ओर से दिल्ली से अधिवक्ताओं की टीम पहुंची थी, लेकिन अभियोजन पक्ष की मजबूत दलीलों के आगे उनका पक्ष नहीं टिक पाया।
एसटीएफ और सरकारी पक्ष की ओर से अधिवक्ता अंजनान खान ने जानकारी दी कि आठों अभियुक्त—मुकेश ठाकुर, नितिन कुमार, गौरव शर्मा, सन्नी कश्यप, इमरान, कुलदीप, विपुल और अमित बत्रा—द्वारा दाखिल जमानत याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार को जेएम (प्रथम) की अदालत में हुई। सोमवार को यह सुनवाई निर्धारित थी, लेकिन कंडोलेंस (शोक सभा) के कारण नहीं हो सकी थी।
मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से व्यापक बहस हुई। आरोपियों के अधिवक्ताओं ने जमानत के पक्ष में तर्क प्रस्तुत किए, वहीं सरकारी पक्ष ने अदालत के समक्ष गंभीर आरोपों को रखते हुए जमानत का विरोध किया। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आठों आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व नौ जून को इसी मामले में मोनाड विवि के मालिक बिजेंद्र सिंह हुड्डा और संदीप सेहरावत की जमानत याचिकाएं भी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा निरस्त की जा चुकी हैं।
पृष्ठभूमि: मोनाड विश्वविद्यालय से जुड़ा यह मामला उस समय उजागर हुआ जब एसटीएफ ने जांच के दौरान फर्जी डिग्रियों और मार्कशीट तैयार करने के एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया था। मामले में कई कर्मचारियों और विश्वविद्यालय प्रबंधन पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज है।