हापुड़। मोनाड विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट और डिग्री घोटाले में गिरफ्तार किए गए सभी आठ आरोपियों की जमानत याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई में भी राहत नहीं मिल सकी। न्यायालय ने सभी की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 जून को होगी।
फर्जीवाड़े के इस बड़े प्रकरण में एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) की ओर से विश्वविद्यालय के मालिक बिजेंद्र सिंह हुड्डा, संदीप सेहरावत सहित कुल आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान एसटीएफ के अधिवक्ता अजनान खान ने अदालत से सभी आरोपियों का आपराधिक इतिहास मांगे जाने का अनुरोध किया।
पुलिस ने जताया जमानत का विरोध
सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने न्यायालय में सभी आरोपियों की जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया और बताया कि इन सभी के विरुद्ध गंभीर अपराधों में संलिप्तता के साक्ष्य हैं। अदालत ने एसीजेएम प्रथम के माध्यम से सभी आरोपियों के आपराधिक रिकॉर्ड तलब किए हैं।
इससे पूर्व सोमवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) की अदालत में विश्वविद्यालय के मालिक बिजेंद्र सिंह हुड्डा और संदीप सेहरावत की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।
छात्रों के भविष्य पर मंडराया संकट
एसटीएफ की कार्रवाई के बाद से मोनाड विश्वविद्यालय की साख को गंभीर धक्का पहुंचा है। विश्वविद्यालय में इस समय परीक्षाएं चल रही हैं, लेकिन छात्रों में भविष्य को लेकर गहरा संशय है। छात्रों का कहना है कि उन्होंने पूरी मेहनत से पढ़ाई की है, लेकिन अब उन्हें डर है कि डिग्री मिलने के बाद भी नौकरी नहीं मिलेगी।
हापुड़ के होटलों में ठहरे कुछ बाहरी जिलों के छात्रों और उनके परिजनों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें अब “चोर” जैसे नजरों से देखा जा रहा है, जबकि उनका इस घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। छात्रों ने राज्य सरकार से मांग की है कि विश्वविद्यालय की साख बहाल करने के लिए शीघ्र ठोस कदम उठाए जाएं, जिससे मेहनती छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके।