हापुड़ – गुरुवार की सुबह बाबूगढ़ थाने में जैसे ही दो नाबालिग किशोरियों के लापता होने की सूचना आई, थाना परिसर में अलर्ट का माहौल बन गया। यह महज एक गुमशुदगी नहीं थी, बल्कि दो मासूम जिंदगियों को समय रहते सुरक्षित घर लौटाने की चुनौती थी। और इस चुनौती को जिस तत्परता, संवेदनशीलता और कुशलता से बाबूगढ़ पुलिस ने निभाया, वह वास्तव में प्रशंसा के योग्य है।
थाना प्रभारी ने खुद संभाली कमान
जैसे ही गांव निवासी व्यक्ति ने थाने पहुंचकर अपनी दो पोतियों के लापता होने की सूचना दी, थाना प्रभारी विजय गुप्ता ने बिना देरी किए मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने एक विशेष टीम गठित की और खुद मामले की निगरानी शुरू की। पुलिस ने तकनीकी सर्विलांस, मोबाइल ट्रैकिंग और संभावित धार्मिक स्थलों की जांच शुरू की। साथ ही टीम ने मथुरा क्षेत्र पर फोकस किया, जहां धार्मिक गतिविधियां होने के कारण संभावना अधिक थी।
24 घंटे के भीतर पुलिस को मिली बड़ी सफलता
बिना समय गंवाए पुलिस टीम ने मथुरा पहुंचकर स्थानीय लोगों और आश्रमों से संपर्क किया। लगातार पूछताछ और सटीक जानकारी जुटाने के बाद अंततः दोनों किशोरियों को सकुशल खोज निकाला गया। यह कार्य किसी आसान प्रयास का नतीजा नहीं था — यह पुलिस टीम की मेहनत, सूझबूझ और ज़िम्मेदारी का परिणाम था।
किशोरियों ने बताई घर से जाने की मासूमियत भरी वजह
जब पुलिस ने उनसे पूछा कि वे बिना बताए क्यों गईं, तो दोनों ने सरलता से जवाब दिया हम बस राधा-कृष्ण के दर्शन करने मथुरा आ गए थे हमने सोचा जल्दी वापस आ जाएंगे मगर रास्ता भूलने की वजह से गुम हो गए। दोनों मासूमों की मासूमियत पर न केवल पुलिस मुस्कराई, बल्कि परिजनों की आंखें भी नम हो गईं।
परिजनों को पुलिस ने लौटाई खुशियां
जब पुलिस ने फोन कर परिजनों को सूचना दी कि उनकी बेटियां मिल गई हैं और सुरक्षित हैं, तो दूसरी ओर सिसकती हुई मां की आवाज़ आई सर, आपने मेरी दुनिया लौटा दी, थाने में बेटियों को देख मां और दादी दोनों उन्हें गले से लगाकर रोने लगीं। यह दृश्य हर किसी के दिल को छू गया।
थाना प्रभारी विजय गुप्ता की हुई सराहना
स्थानीय लोगों से लेकर आला अधिकारियों तक, सभी ने थाना प्रभारी विजय गुप्ता और उनकी टीम की तारीफ की। उनकी नेतृत्व क्षमता, मानवीय दृष्टिकोण और तेज़ फैसले ने साबित कर दिया कि पुलिस सिर्फ कानून की रक्षक नहीं, समाज की संरक्षक भी है।
हर बेटी हमारी जिम्मेदारी है — थाना प्रभारी
थाना प्रभारी विजय गुप्ता ने कहा, हमारी टीम की प्राथमिकता हर गुमशुदा व्यक्ति को सही-सलामत घर पहुंचाना है। खासकर बच्चों और महिलाओं के मामलों में हम त्वरित और संवेदनशील रवैया अपनाते हैं।”
यह केवल बरामदगी नहीं, भरोसे की जीत थी
इस घटना ने न केवल एक परिवार की दो बेटियों को लौटा दिया, बल्कि पुलिस के प्रति समाज का विश्वास भी और मजबूत कर दिया। बाबूगढ़ पुलिस की इस कार्यशैली से यह संदेश गया कि जब सेवा में समर्पण हो, तो हर चुनौती को ममता और मानवता से जीता जा सकता है।