हापुड़/ब्रजघाट। आठ मार्च के इस बार फाल्गुन माह की महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि को लेकर मंदिरों में तैयारी शुरू हो गई है। शिव भक्तों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए बैरिकेडिंग कराई जा रही है। वहीं पुरोहितों को दावा कि इस बार तीन सौ वर्ष बाद महाशिवरात्रि पर अद्भुत संयोग बन रहा है।
पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। आठ मार्च को कुंभ राशि में सूर्य, शनि, शुक्र साथ मिलकर त्रिग्रही योग बना रहे हैं, जो अद्भुत है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन पूजा और व्रत रखना श्रेयकर माना जाता है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव और शक्ति के मिलन का पर्व महाशिवरात्रि मनाई जाती है।
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च शुक्रवार को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव शादी के बंधन में बंधे थे। इसलिए इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का अभिषेक करने के बाद उस पवित्र जल का छिड़काव करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इस दिन पूजा के समय पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में बेल का पौधा लगाएं और उसकी देखभाल करें। बेल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जरूर जलाएं। ऐसा करने से वास्तु दोष कम होता है।
विनोद शास्त्री ने बताया कि महाशिवरात्रि व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए। रात्रि जागरण करने से व्रत का फल दोगुना हो जाता है। उपवास के दौरान भोजन और नमक से परहेज करना चाहिए। दूध, पानी और फलों का सेवन कर सकते हैं। व्रत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू बुरे विचारों, बुरी संगति और बुरे शब्दों से दूर रहना है। व्रतियों को सद्गुणों का अभ्यास करना चाहिए, सभी बुराइयों से दूर रहना चाहिए। इस दिन भगवान शिव के नामों का जप करना और उनके मंदिर जाना शुभ माना जाता है। इस पवित्र दिन व्रतियों को भगवान शंकर की महिमा सुनना और सुनाना चाहिए। तामसिक चीजों के सेवन से बचना चाहिए।