हापुड़ जिले में गोवंशों में लंपी जैसे लक्षण दिख रहे हैं। लेकिन पशुपालन विभाग अंजान बना हुआ है। दो साल पहले लंपी से सैकड़ों पशुओं की मौत हुई थी। लेकिन पशुपालन विभाग का दावा है कि जिले में यह बीमारी नहीं है। टीम को भेजकर गोवंशों की जांच कराई जाएगी।
वर्ष 2022 में जिले के अधिकांश गांवों में लंपी फैली थी। इसकी चपेट में आने वाले गोवंशों के शरीर पर चकत्ते और गांठें बन जाती हैं और पशु को तेज बुखार होता है। लक्षण के आधार पर ही इसकी दवाएं दी जाती हैं। गोवंशों में ही इसका अधिक असर है। पशुपालन विभाग का दावा है कि जिले में यह बीमारी नहीं है।
लेकिन इन दिनों शहरों की सड़कों पर घूमने वाले निराश्रित पशुओं में लंपी जैसे लक्षण दिख रहे हैं। हापुड़ के चंडी रोड और आस पास के इलाकों में ऐसे गोवंश घूम रहे हैं, जिनके शरीर पर गांठें हैं और उनके मुंह से लार जाती रहती है। कुछ खाते पीते भी नहीं हैं, चलने फिरने में भी उन्हें काफी परेशानी हो रही है। सोमवार को गढ़ रोड पर भी ऐसे पशु देखे गए।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. ओमप्रकाश ने बताया कि लंपी रोग की रोकथाम के लिए टीकाकरण किया गया है। जिले में अभी तक कोई केस भी नहीं मिला है, चिकित्सकों की टीम भेजकर गोवंशों की जांच कराई जाएगी।