रैन बसेरों को छोड दर्जनों परिवार खुले आसमान के नीचे 4 डिग्री तापमान में गुजार रहे जिंदगी
जनपद हापुड़ में निराश्रितों को रात गुजारने के लिए पालिका-प्रशासन ने रैन बसेरे की सुविधा दे रखी है। परंतु रैन बसेरों को छोड यहां पर आज भी दर्जनों परिवार खुले आसमान के नीचे 4 डिग्री तापमान में जिंदगी गुजार रहे हैं।
सोमवार को जब सीजन का सबसे ठंडा दिन था तो भी एक रैन बसेरा खाली पड़ा था जबकि दूसरे रैन बसेरे में कुछ ही सदस्य थे। इसके अलावा फुटपाथ पर न जाने कितने महिला-पुरुष और बच्चे आराम से बिस्तर लगाने की तैयारी कर रहे थे।
न छत, न दीवार, चूल्हे पर पक रही रोटी रेलवे स्टेशन के पास फुटपाथ पर परिवार ठहरे हुए थे। जिनके ऊपर न तो छत थी और न ही कोई दीवार बनी हुई थी। सर्द रात धीरे-धीरे अंधेरा घेरती आ रही थी।
लाइटे आसपास के खंबों पर जलने लगी थी। ठंडी हवा के झोंके लोगों को परेशान कर रहे थे। बाइकों पर चलना दुश्वार हो रहा था। परंतु इन परिवारों को रैन बसेरा अच्छा नहीं लगता। रजाई गद्दों और कमरों में सोने में इनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। चूल्हा जल रहा था और रोटी सब्जी बन रही थी।
कड़ाके की ठंड के कारण रोडवेज के स्थानीय हापुड़ डिपो की बसों का संचालन पूर्णतह प्रभावित चल रहा है। कोहरे के कारण रास्ते में बसों को रोकना पड़ रहा है। रोजाना 25 बसों का संचालन प्रभावित है। हालांकि कोहरा कम होने के बाद ही बसें रुटों पर संचालित हो जाती हैं।
इस बार शासन ने रात दस बजे से सुबह आठ बजे तक मौसम देखकर चलने का आदेश जारी किया है। कोहरा अधिक होने के कारण रात्रि में रोडवेज बसों को रोका जा सकता है।
नजदीक के बस स्टैंड, टोल प्लॉजा पर बसें रोकी जाएंगी। कड़ाके की ठंड एवं कोहरे के कारण रोडवेज के स्थानीय हापुड़ डिपो की बसों का संचालन प्रभावित चल रही हैं। रोजाना रात्रि में 25 बसों को रोकना पड़ रहा है।