जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में देवोत्थान एकादशी पर मंगलवार को खादर मेला क्षेत्र, ब्रजघाट तीर्थनगरी में 20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। उन्होंने भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की धार्मिक परंपरा का निर्वहन कर पुण्य अर्जित किया। गंगा किनारे बुधवार शाम से पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दीपदान करने वालों की भीड़ उमड़ने लगेगी। दीपदान की परंपरा नई नहीं है, बल्कि महाभारत काल के दौर से चली आ रही है।
मान्यता है कि महाभारत काल के युद्ध के समय मारे जाने वाले लोगों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण की मौजूदगी में दीपदान किया था। गढ़मुक्तेश्वर खादर क्षेत्र में लगने वाले ऐतिहासिक व पौराणिक कार्तिक पूर्णिमा गंगा मेले में देवोत्थान एकादशी पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। वहीं, गंगा में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने किनारे पर बैठे पंडितों से भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह की कथा सुनकर दक्षिणा दी। इस दौरान गन्ना, शकरकंद, सिंघाड़ा, मूंगफली, मूली व विभिन्न प्रकार की सामग्री से पूजा अर्चना की।
महिलाओं ने अपने तंबुओं में पूजा अर्चना कर भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की रस्म का निर्वहन भी किया। धार्मिक अनुष्ठान कर सुख समृद्धि मांगी। ब्रजघाट में गरीब- निराश्रितों को भोजन और गरम वस्त्रों का दान कर पुण्य अर्जित किया गया।