श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) के जन्म के उत्सव के रूप में भारत के साथ पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। सनातन परंपरा में भगवान कृष्ण को धर्म, करुणा और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। सखा और गोपियों के संग उनकी लीलाएं सदियों से लोगों को प्रेरित करती रही हैं। कृष्ण जन्माष्टमी आज, 26 अगस्त को है। भगवान कृष्ण के भक्त आज उनकी 5251वीं जयंती मनाएंगे।
भगवान विष्णु ने धरती पर पाप और अधर्म का नाश करने के लिए हर युग में अवतार लिया। विष्णु जी के एक अवतार भगवान श्रीकृष्ण हैं, जिनका जन्म मथुरा की राजकुमारी देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में हुआ था। राजा कंश की जेल में जन्में कान्हा का बचपन गोकुल में माता यशोदा और नंद बाबा की गोद में बीता। राजा कंस से बचाने के लिए वासुदेव ने कान्हा के जन्म के बाद ही अपने चचेरे भाई नंदबाबा और यशोदा को दे दिया था।
श्रीकृष्ण ने अपने जन्म से लेकर जीवन के हर पड़ाव पर चमत्कार दिखाए। श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े कई किस्से हैं, जो मानव समाज को सीख देते हैं। अधर्म और पाप के खिलाफ सही मार्गदर्शन करते हैं। उनके जन्मदिवस को उत्सव की तरह हर साल भक्त मनाते हैं। इस मौके पर जानिए कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास और महत्व।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। जन्माष्टमी पर भक्त श्रद्धानुसार उपवास रखते हैं। बाल गोपाल की जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी की तिथि की मध्यरात्रि को घर में मौजूद लड्डू गोपाल की प्रतिमा का जन्म कराया जाता है। फिर उन्हें स्नान कराकर सुंदर वस्त्र धारण कराए जाते हैं। फूल अर्पित कर धूप-दीप से वंदन किया जाता है। कान्हा को भोग अर्पित किया जाता है। उन्हें दूध-दही, मक्खन विशेष पसंद हैं। इसलिए भगवान को भोग लगाकर सबको प्रसाद वितरित किया जाता है।
श्रीकृष्ण का रंग, रूप बेहद ही मनमोहक था, श्यामवर्ण वाले कान्हा की एक झलक पाने के लिए गोपियां कई तरह के जतन करती थी। श्रीकृष्ण को कुछ खास रंग बेहद प्रिय थे, कहते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी पर उन रंग के कपड़े पहनने से बाल गोपल की कृपा बरसती है। श्रीकृष्ण को गुलाबी, लाल, पीला, मोरपंखी रंग बेहद प्रिय है। 26 अगस्त को जन्माष्टमी पर इस रंग के वस्त्र धारण करना शुभ होता है। मान्यता है कि मां यशोदा भी कान्हा को ज्यादातर इन्हीं रंगों के कपड़े पहनाती थीं।