हापुड़। 14 अप्रैल को खरमास के समाप्त होने के बाद फिर से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। इसी के साथ फिर से हर तरफ शादियों में शहनाइयों की गूंज सुनाई देगी। 12 जून को गुरु अस्त होने के बाद चार माह के लिए फिर से मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा।
पिछले कई दिनों से आपको शहनाई की आवाज सुनने को नहीं मिल रही होगी। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि होली के बाद से ही खरमास शुरू हो गया था। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। हालांकि, अब जल्द ही शादी की तैयारियों पर लगी ब्रेक अब हटने वाली है। 14 अप्रैल से शादी-ब्याह जैसे शुभ कार्य दोबारा शुरू होंगे। ऐसे में पिछले एक माह से बंद पड़ी शहनाई की गूंज फिर से सुनाई देंगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित संतोष तिवारी ने बताया कि सात मार्च से होलाष्टक और 14 मार्च से खरमास प्रारंभ होने के बाद मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया था। ऐसे में विवाह, मुंडन उपनयन संस्कार, कर्ण छेदन आदि संस्कारों पर विराम लग गया था।
लेकिन अब 14 अप्रैल सुबह 3:30 बजे मेष राशि में सूर्य देव के संक्रमण होने से खरमास समाप्त हो जाएगा। खरमास समाप्त होने के बाद फिर से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। इससे बैंड-बाजा और शहनाई की गूंज सुनाई देगी। अप्रैल माह में विवाह के लिए 12 शुभ मुहूर्त हैं, जबकि जून में छह शुभ मुहूर्त रहेंगे।
12 जून से छह जुलाई तक गुरु अस्त हो रहे हैं, इसके बाद छह जुलाई को देवशयनी एकादशी के चलते चातुर्मास आरंभ हो रहे हैं। एक नवंबर को हरि प्रबोधनी एकादशी से दोबारा सगाई, विवाह, मंडन संस्कार आदि मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।