28 सितंबर, 2024 को, जेएमएस ग्रुप के छात्र /छात्राओं को दिल्ली के प्रतिष्ठित ओखला बर्ड सेंचुरी, लोटस टेम्पल एवं अक्षरधाम मंदिर की ज्ञानवर्धक यात्रा का उद्देश्य उन सभी के वास्तुशिल्प चमत्कार, जो अपने आश्चर्यजनक कमल के आकार के डिजाइन के लिए जाना जाता है, अन्वेषण और प्रतिबिंब को देखकर छात्र /छात्राये आश्चर्यचकित रह गए।
इस भ्रमण का उद्देश्य छात्रों की वास्तुशिल्प सौंदर्यशास्त्र और मंदिर द्वारा सन्निहित समावेशिता और आध्यात्मिकता के सिद्धांतों की समझ को गहनता से समझना था। अपने विभगाध्यक्षो एवं प्राध्यापकों के मार्गदर्शन में, छात्रों ने एक जानकारीपूर्ण दौरे में प्रतिभाग किया और मंदिर के इतिहास, बहाई उपासना गृह के रूप में इसके महत्व और इसके द्वारा प्रचारित एकता और शांति के मूल्यों के बारे में सीखा।
निर्देशित दौरे के अलावा, छात्र समूह चर्चाओं और गतिविधियों में भी शामिल हुए, जिससे उन्हें सद्भाव और स्वीकृति के विषयों पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। बहुत से छात्र छात्राओं ने मंदिर के शांत वातावरण में ध्यान करके भगवन के प्रति अपनी आस्था को जाहिर की और कमल के डिज़ाइन के प्रतीक शांत वातावरण की सराहना भी की।
संस्थान के माननीय मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ० आयुष सिंघल जी ने कहा कि छात्र /छात्राओं को इस यात्रा से सार्थक तरीके से अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने का मौका मिला है तथा मंदिर की लुभावनी सुंदरता इसके पीछे छिपे संदेश से हमारी पीढ़ी के साथ गहराई से हुआ जुड़ाव सभी धर्मो के प्रति आस्था जागृत करने का एक मूल मंत्र है।
यात्रा के द्वितीय चरण में सभी छात्र /छात्राये ओखला बर्ड सेंचुरी की यात्रा की। जिसका अहम् उद्देश्य स्थानीय वन्य जीवन और संरक्षण के महत्व के बारे में उनकी सोच और समझ को विकसित करना है। बर्ड सेंचुरी पहुंचने पर छात्रों का विशेषज्ञ मार्गदर्शकों द्वारा स्वागत किया गया जिन्होंने अभयारण्य में रहने वाली विभिन्न पक्षी प्रजातियों के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने राजसी चील से लेकर रंग-बिरंगे गाने वाले पक्षियों तक सब कुछ देखा, उनके आवास और व्यवहार के बारे में सीखा। छात्र /छात्राओं ने इन प्रजातियों और उनके पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा में अभयारण्य की भूमिका के बारे में जाना।
जेएमएस ग्रुप के प्राचार्य डा० धीरज सैनी जी ने अपने वैज्ञानिक अनुभवों को साझा करते हुए कहा, “यह यात्रा छात्रों के लिए प्रकृति से जुड़ने का एक अद्भुत अवसर है। पाठ्यपुस्तक से सीखना एक बात है, लेकिन इसे प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करना एक स्थायी प्रभाव डालता है।
संस्थान के डायरेक्टर जनरल प्रो०(डॉ०) सुभाष गौतम जी ने बताया की इस ज्ञान से परिपूर्ण यात्रा से सभी छात्र /छात्राओं को यह अनुभव हुआ है की वे प्रकृति के संरक्षण प्रयासों में कैसे योगदान दे सकते हैं। इस यात्रा से न केवल उनके ज्ञान को समृद्ध किया बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को भी बढ़ावा दिया है।
यात्रा के तृतीया चरण में छात्र /छात्राओं को भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के अद्भुत प्रतीक, भव्य अक्षरधाम मंदिर भ्रमण कराया गया। इस यात्रा का उद्देश्य छात्रों को भारत की समृद्ध विरासत और वास्तुशिल्प चमत्कारों की गहरी समझ प्रदान करना था।
अक्षरधाम मंदिर में छात्र /छात्रा मंदिर की जटिल नक्काशी और भव्य वास्तुकला को देखकर आश्चर्यचकित रह गए। विशेषज्ञ मार्गदर्शकों ने उन्हें मंदिर के इतिहास और महत्व के बारे में बताते हुए परिसर का भ्रमण कराया। छात्र /छात्राओं ने शांति, सद्भाव और भक्ति के मूल मूल्यों के बारे में सीखा जो मंदिर का प्रतिनिधित्व करता है। इस यात्रा में भगवान स्वामीनारायण के जीवन और शिक्षाओं को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी भी शामिल थी, जिसमें भारतीय संस्कृति और इतिहास के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया था। छात्रों को सुंदर बगीचों का एवं मंदिर के आसपास के शांत वातावरण का आनंद लेने का भी अवसर मिला।
संस्थान के माननीय सचिव डॉ० रोहन सिंघल जी ने जानकारी देते हुए कहा कि अक्षरधाम मंदिर की यात्रा न केवल छात्रों के ज्ञान को समृद्ध करती है बल्कि उनकी सांस्कृतिक जड़ों पर गर्व की भावना भी पैदा करती है। इसने भविष्य की पीढ़ियों के लिए ऐसे महत्वपूर्ण स्थलों को संरक्षित करने के महत्व को समझने में भी अहम् भूमिका निभाएगी। संसथान का मैनेजमेंट छात्र छात्राओं के ज्ञान को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए समस्त प्रकार की सुविधाएं मुहैया करने के लिए वचनबद्ध है।
ज्ञानवर्धक यात्रा का सफलता पूर्वक भ्रमण करने एवं आयोजन करने में ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट हेड श्रीमती साक्षी गुप्ता व् साइंस विभाग के प्रोग्राम हेड प्राचार्य डा० धीरज सैनी जी, प्राध्यापक श्री आर के सिंह, प्राध्यापिका सुश्री प्रतिभा, सुश्री सोनिया रानी एवं बी कॉम की प्रोग्राम हेड सुश्री स्वाति रावत, सुश्री रितिका गर्ग, सुश्री तान्या, सुश्री मानसी तोमर का विशेष योगदान रहा।