जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में एक दौर था जब गरीब लोग गुड़ खाते थे और अमीर घरानों में चीनी का इस्तेमाल होता था लेकिन, समय ने ऐसी पलटी मारी कि आज के दौर में चीनी से महंगा गुड़ बिक रहा है। यही नहीं पढ़े लिखे एवं अमीर घरानों के लोग चीनी से अधिक गुड़ को पसंद कर रहे हैं। बाजार में चीनी फुटकर में 42 रुपये किलो, जबकि फुटकर में गुड़ का दाम करीब 50 रुपये किलो बिक रहा है।
तहसील क्षेत्र गन्ना बेल्ट के नाम से दूर-दूर तक मशहूर है। तहसील क्षेत्र की करीब 40 फीसदी कृषि भूमि पर गन्ने की फसल लहलहा रही है। तहसील क्षेत्र में एक बड़ी चीनी मिल लगी हुई है, जबकि आसपास के चार जनपदों के चीनी मिलों द्वारा यहां के किसानों से गन्ने की खरीद की जाती है। लेकिन, चीनी से अधिक गुड़ का रेट होने से किसानों का रुझान कोल्हू लगाने की तरफ बढ़ रहा है।
इन दिनों गुड़ चीनी से महंगा बिक रहा है। बाजार में चीनी फुटकर में 42 रुपये किलो बिक रही है। जबकि फुटकर में गुड़ का दाम करीब 50 रुपये किलो तक पहुंच गया है। चीनी मिल पर गन्ना पेराई करने पर भुगतान के लिए किसान दूसरों के ऊपर आश्रित हो जाते हैं, कोल्हू पर गन्ना आपूर्ति कर तुरंत ही भुगतान मिल जाता है। ऐसे में संपन्न किसान तो चीनी मिल पर गन्ना आपूर्ति करते हैं, लेकिन जरूरतमंद गरीब लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कोल्हू पर ही गन्ना बेचना पसंद कर रहे हैं। कोल्हू संचालक किसानों से सीधा गन्ना खरीद रहे हैं।
भाकियू के जिलाध्यक्ष दिनेश खेड़ा का कहना है गुड़ का रेट चीनी से अधिक होने से क्षेत्र के किसानों का रुझान गुड़ कोल्हू लगाने की तरफ बढ़ रहा है। पिछले साल के सापेक्ष इस साल कोल्हू अधिक लग रहे हैं। चीनी से कई गुना बेहतर गुड़ खाना है। धीरे-धीरे किसान दोबारा से पुराने दौर की तरफ चल रहे हैं। चीनी मिलों पर गन्ने का भुगतान समय से न होने के चलते किसान अपना गन्ना कोल्हू पर बेचना ही पसंद कर रहे हैं।