कानून के हिसाब से टू व्हीलर पर हमें दो ही सवारी बैठा सकते हैं एक ड्राइवर और एक दूसरा साथी को बस। लेकिन भारत में कानून तो मानो तोड़ने के लिए ही बनाए जाते हैं कोई अनुभवी तीन सवारी बैठता है तो कोई पांच और कोई तो हद ही पार कर देता है। ऐसे ही हापुड़ में तहसील चौराहे पर बाइक से बने जुगाड़ में लदे सामान से भरे बोरों के ऊपर बस की छत की ऊंचाई के बराबर बैठा युवक अपनी जान की परवाह किये बिना हादसे को न्योता दे रहा है।
यातायात माह की भी लोग परवाह नहीं कर रहे। जागरूक करने के बावजूद शहर की सड़कों पर बिना हेलमेट के ही नहीं, बल्कि तीन से चार सवारी बाइक सवार दौड़ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यातायात पुलिस कार्यवाही न कर रही हो। यातायात पुलिस रोजाना बिना हेलमेट एवं दुपहिया वाहन पर दो से अधिक सवारी लेकर चलने पर चालान किया जा रहा है, लेकिन नियमों के उल्लंघन करने को युवा अपनी शान मानते हैं। जिसका खामियाजा कई बार दुर्घटना के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
अधिकांश दुर्घटनाएं लापरवाही से वाहन चलाने पर, नशे में वाहन चलाने पर हो रहीं हैं, जबकि हेलमेट न पहनने से जान जा रहीं हैं। लोगों को अपनी और दूसरों की जान की परवाह करनी चाहिए। इससे पूरा परिवार प्रभावित होता है।