हापुड़ में वायरल के साथ ही मरीजों में टाइफाइड के लक्षण मिल रहे है। दो सप्ताह तक मरीजों को बुखार से आराम नहीं मिल रहा। बुधवार को सात मरीजों में टाइफाइड की पुष्टि हुई। इसके साथ ही डायरिया, पेट संक्रमण और त्वचा रोगियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
अगर समय रहते टाइफाइड का पता चल जाए तो इसका दवाओं से सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। अगर इसका इलाज न किया जाए तो टाइफाइड जानलेवा हो सकता है। टाइफाइड के बढ़ते मामलों को देखते हुए सावधानी बरतना जरूरी है। बीमारियों से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना और नियमित हाथ धोना जरूरी है।
फिजिशियन डॉ. अशरफ अली ने बताया कि टाइफाइड का बुखार सामान्य दवाओं से ठीक नहीं होता। बल्कि इसके लिए दवाओं के आवश्यक कोर्स की आवश्यकता पड़ती है। ओपीडी में कई मरीज इस तरह के आए जिन्हें दो सप्ताह से बुखार था। जांच कराने पर उनमें टाइफाइड के लक्षण मिले हैं। मरीजों का आवश्यक उपचार शुरू कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि पहले लगातार 10 दिन से अधिक बुखार आने पर यह समस्या होती थी, लेकिन अब इसकी मियाद पांच तक पहुंच गई है। मरीजों को तत्काल नियमित दवा खाने और परहेज करने की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि टाईफाइड में प्लेटलेट्स में तेजी से कमी आती है जो जानलेवा साबित होती है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. समरेंद्र राय ने बताया कि बच्चों में डायरिया और पेट संक्रमण के साथ वायरल का असर अधिक है। बदलते मौसम में बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, जिनमें कुछ को भर्ती करने की भी आवश्यकता पड़ रही है।