जनपद हापुड़ में बदलते मौसम में चर्म रोग के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। घनी आबादी वाले मोहल्ले में 30 फीसदी लोग इसी बीमारी के शिकार हैं। सरकारी अस्पतालों में इस प्रकार की दवाओं की उपलब्धता भी कम है, ऐसे में अधिकतर मरीजों को वैकल्पिक दवाएं देकर ही टरकाया जा रहा है।
सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले मरीजों में एलर्जी, घमौरी, रेड रैशेज, लाल रंग के छोटे-छोटे दाने, त्वचा में खुजली होना, पिगमेंटेशन, सनबर्न आदि समस्याएं देखने को मिल रही हैं। मरीज बिना परामर्श के गलत लोशन, दवाएं ले रहे हैं जिससे बीमारी गंभीर हो रही है। जिन मरीजों की त्वचा संवेदनशील है उन्हें केमिकल युक्त उत्पादों के प्रयोग से बचना चाहिए। अस्पताल में आने वाले मरीजों में अधिक घनत्व वाले मोहल्लों में परेशानी देखने को मिल रही है। इन मोहल्लों में त्वचा रोगियों की संख्या काफी अधिक मिली है।
स्कैबीज एग्जिमा, सोराइसिस, फंगस तेजी से फैल रहे हैं। जिससे चर्म रोग के मरीज बढ़े है। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में रोजाना सैकड़ों मरीज पहुंच रहे हैं। सीएचसी पर दवाओं का बजट समाप्त हो चुका है, ऐसे में इनकी निर्भरता जिला अस्पताल पर है। लेकिन इनके इलाज के लिए बीबी लोशन, सिटजिन और सीपीएम जैसी दवाओं की उपलब्धता कम है।
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अमरजीत सिंह ने बताया कि फंगस इंफेक्शन हर महीने मरीजों को परेशान करता है, जिसका इलाज सामान्य दवाओं से ही हो जाता है। लेकिन स्कैबीज बेहद तेजी से फैलने वाली बीमारी है, एक से दूसरे मरीज के संपर्क में आने, कपड़े संपर्क में आने से ही यह बीमारी फैलनी शुरू हो जाती है। बदलते मौसम में स्कैबीज के साथ ही एग्जिमा, सोराइसिस बीमारी भी तेजी से फैल रही हैं।
सीएमओ डॉ. सुनील कुमार- ने बताया की चर्म रोगियों के उपचार के लिए सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ ओपीडी कर रहे हैं। मरीजों को बीमारी से बचाव के तरीके भी बताए जा रहे हैं। मौसम में बदलाव के साथ चर्म रोगी बढ़ते हैं।