हापुड़। बुलंदशहर रोड हाईवे (334) पर बुधवार रात गलत दिशा में आ रहे कैंटर से टकराकर हुए दर्दनाक हादसे में चार मासूम बच्चों और एक युवक की मौत के बाद भी न तो पुलिस-प्रशासन पूरी तरह सतर्क दिखा और न ही आमजन ने सीख ली। नियमों की अनदेखी और गलत दिशा में वाहन चलाने की लापरवाही अब भी खुलकर देखी जा रही है।
हादसे में उजड़ गए कई घर
बुलंदशहर रोड पर पड़ाव स्थित मिनीलैंड पब्लिक स्कूल के सामने हुए हादसे ने पूरे शहर को झकझोर दिया। बाइक सवार दानिश, उनकी दो बेटियां मायरा (8), सुमायरा (6), भतीजा समर (8) और पड़ोसी वकील का इकलौता बेटा माहिम (12) इस हादसे में जान गंवा बैठे। कैंटर हाईवे पर विपरीत दिशा में तेज़ रफ्तार में आ रहा था, जब यह भीषण टक्कर हुई।
पुलिस की खानापूरी, हालात अब भी जस के तस
घटना के बाद पुलिस ने हादसे वाले कट पर बैरिकेडिंग लगाकर उसे बंद तो किया, लेकिन आसपास के अन्य अवैध कट अब भी खुले हुए हैं। संवाद टीम ने शुक्रवार को घटनास्थल का दौरा किया तो देखा कि लोग अब भी खुलेआम नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। बाइक सवार उसी बंद कट के बीच से निकलते देखे गए, जहां हादसा हुआ था।
जिम्मेदार कौन?
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की लचर कार्यप्रणाली के कारण गलत दिशा में वाहन चलाना आम बात हो गई है। किसी प्रकार की सख्ती या चालान की डर न होने के कारण लोग बेफिक्र होकर हाईवे से सड़क पार करते और अवैध कटों का इस्तेमाल करते हैं, जो हर दिन हादसे को दावत दे रहे हैं।
प्रशासन का दावा और वास्तविकता
इस संबंध में एसपी ज्ञानंजय सिंह ने बताया:
“दुर्घटनाओं को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। बुलंदशहर रोड पर हादसे के बाद अवैध कटों को बंद कराया जा रहा है। जो भी कमियां हैं, उन्हें जल्द दूर किया जाएगा। नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों पर कार्यवाही होगी।”
हालांकि, जमीनी हकीकत यह है कि कार्यवाही केवल हादसे के बाद अस्थायी तौर पर होती है, और कुछ दिन बाद हालात फिर वही हो जाते हैं।
निष्कर्ष:
बिना सुरक्षा, बिना चेतावनी और बिना जिम्मेदारी के यदि हाईवे पर आवागमन जारी रहा, तो ऐसे हादसे फिर दोहराए जाएंगे। आवश्यकता है कि स्थायी समाधान, कठोर निगरानी और जनजागरूकता के माध्यम से इस गंभीर समस्या से निपटा जाए।