हापुड़ | गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) द्वारा हापुड़ जिले के 16 गांवों को अपने अधिकार क्षेत्र में लेने के प्रस्ताव को हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण (HPDA) ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। इस प्रस्ताव का धौलाना विधायक धर्मेश तोमर ने भी तेज विरोध किया है।
⚠️ प्रस्ताव क्या था?
- गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने मसूरी से सटे 16 गांवों को जीडीए की सीमा में शामिल करने का प्रस्ताव तैयार किया था।
- यह प्रस्ताव GDA बोर्ड की बैठक में रखा जाना था।
- इन गांवों में कुछ ऐसे क्षेत्र शामिल हैं जो अभी HPDA के अंतर्गत आते हैं, लेकिन भौगोलिक रूप से गाजियाबाद जिले के करीब माने जा रहे थे।
❌ HPDA का जवाब: “गांव नहीं देंगे”
हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण (HPDA) ने इस प्रस्ताव को स्पष्ट शब्दों में अस्वीकार कर दिया है।
🗣️ डॉ. नितिन गौड़, उपाध्यक्ष HPDA:
“हम लगातार अपने क्षेत्र का विस्तार करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारा प्राधिकरण छोटा है। इसलिए GDA का प्रस्ताव खारिज करते हुए हमने आपत्ति दर्ज करा दी है।”
🗳️ विधायक का सख्त विरोध
धौलाना विधायक धर्मेश तोमर ने भी इस मुद्दे पर जनहित का हवाला देते हुए खुलकर विरोध किया।
🗣️ “ये 16 गांव हापुड़ का हिस्सा हैं। हापुड़ पहुंचने में 10 मिनट लगते हैं जबकि GDA के कार्यालय में एक घंटा। ऐसे में जनसुविधा के लिए इन गांवों को HPDA में ही रहना चाहिए।”
- विधायक ने इस मुद्दे को मंडलायुक्त के समक्ष भी उठाया है।
- उन्होंने प्रस्ताव को स्थानीय जनता के साथ धोखा करार दिया।
🗺️ पृष्ठभूमि:
वर्ष | घटनाक्रम |
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2011 | हापुड़ को जिला घोषित किया गया, HPDA को गाजियाबाद से अलग किया गया। |
बाद में | मोदीनगर और पिलखुवा के कुछ गांव HPDA में शामिल किए गए। |
अब | GDA इन 16 गांवों को अपने अधिकार क्षेत्र में लेने की मांग कर रहा है। |
📌 मुद्दे के प्रभाव:
पक्ष | प्रभाव |
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HPDA | अधिकार क्षेत्र सीमित होने से विकास योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं |
GDA | विस्तार की कोशिश में है, लेकिन विवाद से जूझ रहा |
ग्रामीण जनता | लंबी दूरी और प्रशासनिक उलझनों का सामना करना पड़ सकता है |
स्थानीय राजनीति | विधायक और जनता आमने-सामने नहीं, बल्कि एकजुट हैं |