जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में तीन दशक से अधिक की अवधि बीतने के बाद भी एसडीएम और सीओ के आवास नहीं बन पाए हैं, जो आज भी लोक निर्माण विभाग के भवन में ही रहते आ रहे हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा अब आकर अकेले सीओ को ही भवन खाली करने का नोटिस दिए जाने से तरह तरह की चर्चा चल रही हैं। ऐसे में लोगों को इन आवासों के बारे में सच्चाई पता चल सकी।
गाजियाबाद जिले का सृजन होने पर वर्ष 1977 में गढ़ क्षेत्र को मेरठ से हटाकर उसमें शामिल कर दिया गया था। इसी दौरान गढ़ को हापुड़ से हटाकर तहसील का दर्जा भी प्रदान किया गया था। धीर-धीरे तहसील को बने 36 साल की लंबी अवधि बीत चुकी है। शुरुआती दौर में तहसील मुख्यालय के लिए नगर में गंगा मंदिर से थोड़ी दूरी पर स्थित धर्मशाला में कार्यालय संचालित किए गए थे, जबकि एसडीएम के लिए रेलवे रोड पर लोक निर्माण विभाग के भवन में वैकल्पिक तौर पर आवास की व्यवस्था कराई गई थी। तहसील बनने के कुछ साल बाद ही पुलिस विभाग ने गढ़ को नया सर्किल बनाते हुए यहां सीओ की नियुक्ति कर दी थी, जिसके बाद सीओ भी रेलवे रोड पर ही एसडीएम के बराबर वाले लोक निर्माण विभाग के आवास में रहते आ रहे हैं।
इतनी लंबी अवधि बीतने के बाद भी विभागीय स्तर से आज तक तहसील स्तरीय दोनों आला अधिकारियों के आवास बनवाए जाने संभव नहीं हो पाए हैं। इसी के चलते तीन दिन पहले लोक निर्माण विभाग द्वारा सीओ को नोटिस भेजकर पंद्रह जनवरी तक अपना आवास खाली कराने और इसमें देरी होने पर अग्रिम कार्यवाही कराने की बात भी कही गई है।
लोक निर्माण विभाग द्वारा अब सीओ को ही भवन खाली करने का नोटिस दिए जाने से लोगों को सच्चाई पता चली है। लोगों का मानना था कि दोनों अधिकारी अपने-अपने सरकारी आवास में ही रहते है। जिसको लेकर पुलिस और प्रशासनिक अमले समेत स्थानीय लोगों में तरह तरह की चर्चा चल रही हैं।