जीएस मेडिकल कॉलेज, हापुड़ सहित 240 छात्रों की याचिका पर सुनवाई
प्रयागराज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा एमबीबीएस की बढ़ाई गई फीस पर अंतरिम रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश आन्या परवाल और 239 अन्य विद्यार्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
अगली सुनवाई की तारीख 17 सितंबर 2025 निर्धारित की गई है।
🎓 मामला क्या है?
हापुड़ स्थित जीएस मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए फीस में की गई वृद्धि के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।
फीस वृद्धि विवरण:
- पुरानी फीस: ₹11,78,892
- नई फीस: ₹14,14,670
- वृद्धि: लगभग ₹2.35 लाख
- अधिसूचना तिथि: 5 जुलाई 2025
छात्रों का कहना है कि यह फीस दूसरी बार बढ़ाई गई है और वह भी बीच सत्र में, जो कि नियमों के खिलाफ है।
🧑⚖️ याचिकाकर्ताओं की दलील
छात्रों की ओर से अधिवक्ता निपुण सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि:
- यह वृद्धि मनमानी और असंवैधानिक है
- कॉलेज के ब्रोशर में दी गई फीस के आधार पर छात्रों ने प्रवेश लिया
- बीच सत्र में फीस बढ़ाना अव्यवहारिक और अनुचित है
🏛️ कॉलेज और सरकार का पक्ष
प्रतिवादी कॉलेज और राज्य सरकार की ओर से कहा गया:
- शुल्क वृद्धि “उप्र निजी व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थान (फीस निर्धारण) अधिनियम, 2006” के तहत की गई है
- राज्यपाल ने शुल्क नियामक समिति की संस्तुति पर फीस वृद्धि को मंजूरी दी है
📝 कोर्ट का आदेश
- राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादियों को 2 सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
- याचिकाकर्ताओं को एक सप्ताह बाद जवाब दाखिल करने की अनुमति
- 5 जुलाई 2025 की अधिसूचना पर अगले आदेश तक अंतरिम रोक
- अगली सुनवाई: 17 सितंबर 2025
📢 निष्कर्ष
यह मामला निजी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा की लागत और पारदर्शिता से जुड़ा है। कोर्ट का अंतरिम आदेश छात्रों को फिलहाल राहत जरूर देता है, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय अगली सुनवाई में होगा। यह फैसला राज्य के हजारों मेडिकल छात्रों के लिए महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है।