हापुड़। जैविक उत्पादों के नाम से हापुड़ की पहचान होगी। शासन की मंजूरी के बाद अब हापुड़ को जैविक उत्पादों के निर्यात का हब बनाने की तैयारी है। जिले के किसान जैविक उत्पाद तैयार करेंगे, इनकी बिक्री और निर्यात के लिए कृषि विभाग सहयोग देगा। अधिकारियों का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है, इसके लिए चारों ब्लॉकों से 40-40 किसानों को चिह्नित किया जा रहा है।
जिले में अभी तक कुछ ही किसान जैविक खेती से जुड़े हैं, क्योंकि शुरूआत में उत्पादन संतोषजनक नहीं मिल पा रहा है। रसायनयुक्त खेती से बिगड़ते मृदा स्वास्थ्य और किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए अब प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देने की तैयारी है। सबसे पहले जिले के 160 किसानों को चिन्हित किया जा रहा है, जो स्वेच्छा से जैविक खेती करने के इच्छुक हैं। शुरूआत में इन किसानों से छोटे स्तर पर जैविक खेती कराई जाएगी, हर तहसील पर एक एक स्टॉल जैविक उत्पादों की बिक्री का लगेगा। जहां पर ये किसान अपने उत्पाद बेच सकेंगे। इसके साथ ही विभाग दूसरे प्रदेशों में भी यहां के उत्पादों का निर्यात कराएंगे।
योजना दो से तीन साल में परिपक्व होगी, लेकिन इसका किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा और हापुड़ की पहचान अंतरराष्ट्रीय पटल पर जैविक उत्पादों के नाम से उबरेगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बासमती की महक विदेशों तक महकती है। शासन ने बासमती के निर्यात को बढ़ावा देने के भी आदेश दिए हैं। बासमती निर्यात का हापुड़ को हब बनाने की तैयारी है। जैविक उत्पादों के साथ ही हापुड़ को बासमती धान के निर्यात की भी योजना तैयार की जा रही है।
कृषि विज्ञान केंद्र जैविक खेती पर शोध कर रहा है। इसके लिए शासन से केंद्र को देसी गाय भी मिली है, जिसके गोबर, मूत्र से ही इस खेती का ट्रायल चल रहा है। यह मॉडल भी जिले का नाम रोशन करेगा।
जिले में जैविक विधि से हल्दी, भिंडी, भिलिया, बैंगन, तोरई, लोकी, अदरक, खीरा, खरबूज, तरबूज, गोभी, चकुंदर, मिर्च, टमाटर, प्याज, शिमला मिर्च, टिंडा तैयार किया जाएगा।
जिला कृषि अधिकारी मनोज कुमार- ने बताया की जिले के किसानों को जैविक खेती से जोड़ा जा रहा है, कुछ किसान खेती कर भी रहे हैं। रसायनमुक्त खेती मृदा और मनुष्य स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी है, ऐसे उत्पादों की बिक्री कराने में भी किसानों को सहयोग दिया जाएगा।