हापुड़ – जनपद हापुड़ में पुलिस अधीक्षक कुंवर ज्ञानंजय सिंह के कुशल नेतृत्व और पुलिस की प्रभावी पैरवी के चलते वर्ष 1993 में दर्ज मोटरसाइकिल लूट के मामले में न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है। इस फैसले ने यह सिद्ध कर दिया है कि न्याय में देर हो सकती है, पर अंधेर नहीं।
क्या है पूरा प्रकरण
सहायक शासकीय अधिवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि सलीम पुत्र उमरतुल्ला निवासी ग्राम भमेड़ा, थाना बाबूगढ़ ने वर्ष 1993 में एक मोटरसाइकिल लूट की वारदात को अंजाम दिया था। इस मामले में बाबूगढ़ थाना पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया, उसे गिरफ्तार किया और आवश्यक साक्ष्य संकलन कर आरोप पत्र न्यायालय को सौंपा।
न्यायालय का फैसला
तीन दशक से अधिक समय बाद, मंगलवार को न्यायालय ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर आरोपी को दोषी माना। जुर्म इकबाल (गुनाह कबूल करने) के आधार पर 38 दिन की जेल अवधि, न्यायालय उठने तक की सजा और ₹100 का अर्थदंड लगाया गया।
पुलिस की प्रतिबद्धता रंग लाई
यह फैसला इस बात का प्रमाण है कि हापुड़ पुलिस अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरत रही। वर्षों पुराने मामले में भी सटीक कानूनी प्रक्रिया अपनाकर हापुड़ पुलिस ने साबित किया है कि अपराध करके कोई भी कानून से बच नहीं सकता।
एक सशक्त संदेश
इस निर्णय से न केवल पीड़ित पक्ष को न्याय मिला है, बल्कि समाज को भी एक सशक्त संदेश गया है कि अपराध कितना भी पुराना क्यों न हो, सजा जरूर मिलेगी। यह घटना पुलिस और न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही का उदाहरण बन गई है।