हापुड़। शहर के बाजारों में मिट्टे के बने बर्तनों की दुकानें सजी हुई हैं। गर्मी में टोटी वाले मटकों के साथ ही मिट्टी के वाटर कूलर और बोतल के ठंडे पानी से लोगों की प्यास बुझेगी। गर्मी बढ़ने के साथ ही मिट्टी के बर्तनों की मांग भी बढ़ गई है। गर्मी का असर बढ़ रहा है और लोगों की प्यास भी बढ़ने लगी है। लोग प्यास बुझाने के लिए ठंडे पानी का सहारा ले रहे हैं, लेकिन फ्रिज के ठंडे पानी के साथ ही लोग मिट्टी के मटके, वाटर कूलर के पानी से गला तर कर रहे हैं।
मिट्टी के बर्तनों का भारत में एक लंबा इतिहास है, और वे विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं और रीति-रिवाजों का हिस्सा हैं। आज के आधुनिकता दौर में
फिर से लोगों का रुझान मिट्टी के बर्तनों की ओर बढ़ गया है। लोग फिर से पौराणिक परंपराओं का प्रयोग करने लगे हैं।
हापुड़ शहर के कोठी गेट, अतरपुरा चौपला, पक्का बाग सहित विभिन्न स्थानों पर मिट्टी के बर्तनों की दुकानें सजी हुई हैं। रंग-बिरंगे मटके अलग-अलग डिजाइन में उपलब्ध हैं। इन मटकों पर रंग रोगन के साथ ही टोटी लगी हुई है। मटकों को रखने के लिए लोहे के स्टैंड भी दुकानों पर उपलब्ध हैं। 10 लीटर क्षमता के मटके 200 से 250 रुपये में उपलब्ध है। मटकों के साथ फैंसी मिट्टी के वाटर कूलर और बोतल भी उपलब्ध है।
आज के दौर में फ्रिज का महत्व बढ़ गया है. खासकर गर्मी के मौसम में शीतल पेय के लिए लोग फ्रिज का उपयोग करते हैं। इसके बावजूद आज भी परंपरागत मिट्टी के बर्तनों का काफी महत्व है और इसकी मांग गर्मी में बढ़ जाती है। यही कारण है कि गर्मी के मौसम में मिट्टी के घड़े एवं मिट्टी के बर्तनों की मांग सबसे ज्यादा रहती है।
गर्मी बढ़ने के साथ ही इनकी मांग भी बढ़ गई है। गर्मी के मौसम में यह काफी कारगर साबित हो रहे हैं। कोठी गेट स्थित दुकानदार शिवम ने बताया कि गर्मी के मौसम में मटको का उत्पादन घरों पर किया जा रहा है। वहीं कुछ मिट्टी के बर्तन गुजरात से मंगाए जा रहे हैं। पांच लीटर क्षमता वाला वाटर कूलर 600 रुपये, दस लीटर क्षमता वाला 800 रुपये और 20 लीटर क्षमका का वाटर कूलर एक हजार रुपये में उपलब्ध है।