हापुड़। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) ट्रैक की सुरक्षा बढ़ाने और मालगाड़ियों को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाने के लिए ट्रैक को हॉट एक्सल बॉक्स डिटेक्टर (एचएबीडी) तकनीक से लैस किया गया है। डिवाइस मालगाड़ी के एक्सल और पहियों के तापमान पर नजर रखेगी और तापमान बढ़ते ही ट्रैक पर लगे सेंसर से कंट्रोल रूम को सिग्नल पहुंचेगा। इसकी मदद से बड़ी दुर्घटना को टाला जा सकेगा।
हॉट एक्सेल बॉक्स डिटेक्टर (एचएबीडी) सिस्टम दौड़ती ट्रेन के पहियों में होने वाली गड़बड़ी को तुरंत पकड़ लेगा। इससे किसी भी संभावित दुर्घटना को रोकने में इससे मदद मिलेगी।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से रोजाना 40 से 45 मालगाड़ियों का संचालन होता है। गर्मी के मौसम में मालगाड़ी के संचालन के दौरान एक्सल और पहिए गर्म हो जाते हैं, जिससे इनके डिरेल होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए खुर्जा-पिलखनी सेक्शन में खुर्जा, गुलावठी, परतापुर, सकौती सहित पांच स्थानों पर ट्रैक के किनारे हॉट एक्सल बॉक्स डिटेक्टर डिवाइस लगाई गई है।
यह डिवाइस पटरियों के दोनों तरफ लगाई जाती है। ट्रेन के गुजरने के दौरान डिवाइस हर पहिये पर अपनी पैनी नजर रखती है। हॉट एक्सेल या ब्रेक जाम होने की स्थिति में डिवाइस में लगा सेंसर गड़बड़ी को पकड़ लेता है और तत्काल कंट्रोल को एक संदेश जारी कर देता है। इससे समय रहते उसकी मरम्मत करा दी जाती है। यह डिवाइस ट्रेन के आने का सिग्नल होते ही सक्रिय हो जाती है। इससे निकलने वाली लेजर ट्रेन के पहिए पर दोनों ओर पड़ती है। यह पहिए के तापमान और अन्य तकनीकी जानकारी दर्ज कर लेती है।
रेलवे के अधिकारियों के अनुसार तापमान बढ़ने पर ट्रैक पर लगे सेंसर डिवाइस को सिग्नल भेजते हैं, इसके बाद डिवाइस से प्रयागराज स्थित कंट्रोल रूम को सिग्नल मिलता है। सूचना मिलती है ट्रेन के संचालन को रास्ते में ही रोक दिया जाता है।
उप मुख्य परियोजना प्रबंधक कुलदीप कुमार- ने बताया की डीएफसी कॉरिडोर पर हॉट एक्सल बॉक्स डिटेक्टर डिवाइस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो मददगार साबित हो रहा है। इस तकनीक का प्रयोग कर हादसों को रोकने में मदद मिल रही है।