हापुड़ में ग्राम पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों के लिए होने वाली खरीदारी पर जीएसटी चोरी की जा रही है। राज्य कर विभाग में 273 में से 218 ग्राम पंचायतों ने ही पंजीकरण कराया हुआ है और इनमें से भी अधिकतर टैक्स नहीं चुका रही हैं। ऐसी ग्राम पंचायतें विभाग के रडार पर आ गई हैं और अधिकारी डाटा जुटाने में लगे हैं। कुछ ग्राम पंचायतों को नोटिस भी जारी हो चुके हैं।
ग्राम पंचायतों में निर्माण और विकास कार्य कराने के लिए प्रत्येक वर्ष लाखों रुपये का सामान खरीदा जाता है। नियमानुसार इस खरीदारी पर कर अदा होना चाहिए। उत्तर प्रदेश शासन से वर्ष 2018 में ग्राम पंचायतों को जीएसटी विभाग में पंजीकरण कराने के निर्देश दिए थे लेकिन इसके बाद भी ग्राम पंचायतों ने पंजीकरण कराने में रुचि नहीं दिखाई।
शासन और जीएसटी विभाग ने जोर दिया तो अभी तक 218 ग्राम पंचायतों ने पंजीकरण तो करा लिया लेकिन इसके बाद भी टैक्स अदा नहीं किया, जिससे विभाग को चुना लग रहा है। वहीं 55 ग्राम पंचायतों ने अभी तक मनमानी का रवैया नहीं छोड़ा है और जीएसटी विभाग में पंजीकरण तक नहीं कराया है। पिछले पांच वर्षों से कार्यों को लेकर खरीद फरोख्त की जा रही है, लेकिन टैक्स अदा नहीं किया जा रहा है। फिलहाल विभाग वित्तीय वर्ष 2022-23 में ग्राम पंचायतों द्वारा किए गए भुगतान का डाटा एकत्रित करने में लगा है।
राज्यकर विभाग के प्रभारी उपायुक्त लाल चंद्र का कहना है कि ग्राम पंचायतों में होने वाले निर्माण और विकास कार्यों का भुगतान करते समय 2.5 लाख रुपये से अधिक की रकम पर दो प्रतिशत टीडीएस कटौती कर जीएसटी जमा करनी होती है। इसके लिए शासन से सभी ग्राम पंचायतों को विभाग में पंजीकरण करने के निर्देश दिए जा चुके हैं लेकिन इसके बाद भी ग्राम पंचायतें जीएसटी चोरी कर रही हैं। इस संबंध में डाटा एकत्रित किया जा रहा है और नोटिस भेजने की भी तैयारी है। जीएसटी चोरी करने पर ग्राम पंचातयों पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।