खेतों में जलभराव, चारे की किल्लत, बीमारियों का खतरा बढ़ा
गढ़मुक्तेश्वर। पहाड़ों पर हो रही बारिश और बिजनौर बैराज से छोड़े गए अतिरिक्त पानी के कारण गंगा नदी का जलस्तर एक बार फिर बढ़ने लगा है। इससे गंगा किनारे बसे गांवों में चिंता की लहर दौड़ गई है। पिछले कुछ दिनों से राहत महसूस कर रहे ग्रामीण अब बाढ़ के दोबारा आने के डर से दहशत में हैं।
📈 जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी
बुधवार को गंगा का जलस्तर 199.22 मीटर (समुद्र तल से) दर्ज किया गया, जो मंगलवार की तुलना में 6 सेंटीमीटर अधिक है।
जलस्तर में इस उतार-चढ़ाव के चलते गंगा तटीय इलाकों में भूकटाव (soil erosion) का खतरा मंडराने लगा है। वहीं, उमस और पानी की सड़न से संक्रमण फैलने की आशंका भी बढ़ रही है।
🐄 पशुओं के चारे की किल्लत
- जलभराव से पशुओं के लिए चारे की भारी कमी हो गई है।
- गंगानगर व आसपास के गांवों में ग्रामीण जलभराव के बीच हरा चारा काटने को मजबूर हैं।
- प्रशासन द्वारा भूसा वितरण किया जा रहा है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है।
🌾 फसलों का नुकसान, टीम करेगी सर्वे
खादर क्षेत्र के गांवों में पॉलेज, धान और गन्ने जैसी फसलें उगाई जाती हैं।
एसडीएम श्रीराम सिंह ने बताया:
“बाढ़ से पॉलेज की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। किसानों की स्थिति को देखते हुए नुकसान का सर्वे कराया जाएगा। इसके लिए टीम का गठन कर दिया गया है।“
प्रशासन की ओर से:
- गांवों में राशन और चारा वितरण किया जा रहा है
- स्वास्थ्य शिविर, सफाई व्यवस्था, और बीमारी की रोकथाम के प्रयास तेज किए जा रहे हैं
- राशन वितरण में अनियमितता की जांच भी शुरू कर दी गई है
🛑 क्या है ग्रामीणों की स्थिति?
- खेतों में पानी भरा होने से ग्रामीण खुले पानी में चारा ढूंढने जा रहे हैं
- संक्रमण और मच्छरों के कारण स्वास्थ्य को खतरा बढ़ गया है
- कई घरों तक बाढ़ का पानी अब भी नहीं निकला है
📢 निष्कर्ष
गंगा का बढ़ता जलस्तर तटीय गांवों के लिए फिर एक चुनौती बनकर सामने आया है। प्रशासन राहत पहुंचाने की कोशिशों में जुटा है, लेकिन फसल नुकसान और पशुपालन की समस्या गहराती जा रही है। ग्रामीणों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए आने वाले दिनों में और प्रभावी कदम जरूरी होंगे।