हापुड़। इस बार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग(सीएक्यूएम) ने कोयला, लकड़ी, गत्ता और बायो डीजल से चलने वाले उद्योग धंधों को पीएनजी में बदलने समेत अन्य निर्देश जारी किए है।
चेयरमैन राजेन्द्र गुप्ता ने बताया कि सीएक्यूएम ने उद्योगों को केवल पीएनजी पर चलाने के निर्देश दिए है, जबकि पीएनजी की उपलब्धता कुछ ही क्षेत्रों में हैं।
जनपद के सूक्षम व लघु उद्योगों में पांच से 85 केवीए के डीजी सेट प्रयोग हो रहे है, जिनको पीएनजी में परिवर्तित करने की कोई तकनीक नहीं है।
इसके अलावा जनरेटर सेट को पीएनजी में परिवर्तित करने के लिए लगने वाली आयतित उपकरण है, जिसकी तकनीकि अभी तक केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा प्रमाणित नहीं है।
धीरज चुग ने कहा कि जनरेटर सेट को पीएनजी में परिवर्तित करने की लागत बहुत अधिक है। एनसीआर में पीएनजी की कीमतें पारंपरिक ईधन की तुलना में बहुत अधिक है।
जिससे उद्योगों के उत्पादों की लागत अधिक होने से उन्हें प्रतिस्पर्धा में रहना कठिन है। इसलिए एनसीआर में जबतक ग्रेप लागू है, तबतक उद्योगों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सप्लाई देने, एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से पार जाने पर उद्योगों को अपने जनरेटर डिस्कनेक्ट करने और इंडेक्स 300 से नीचे आने पर कनेक्ट करने की अनुमति दी जाए।
इसके अलावा किसी भी उद्योग को बंद करने से पहले सुनवाई का एक मौका देने आदि की अनुमति देने की मांग की। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर डीएम मेधा रूपम को ज्ञापन दिया। इस मौके पर पवन शर्मा, विजय शंकर शर्मा, अशोक छारिया आदि शामिल रहे।