हापुड़ में पिछले दो महीने से क्षेत्र के पशु खुरपका मुंहपका की बीमारी से जूझ रहे हैं। कई गांवों में खुरपका, मुंहपका रोग की चपेट में आने से सैकड़ों पशु बीमार पड़े हुए हैं। अलग-अलग गांवों में सैकड़ों पशुओं की मौत हो चुकी है। बड़ी संख्या में अभी भी पशु बीमार हैं। पशुपालन विभाग और प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है। किसान झोलाछापों के इलाज पर ही निर्भर हैं।
कोहरे, पाले और शीतलहर के समय पशुओं में शुरू हुई यह बीमारी तापमान बढ़ने के बाद भी खत्म नहीं हुई। पशुओं में सबसे ज्यादा बीमारी उन्हीं गांवों में बनी हुई है, जहां शुरुआत में इसका प्रकोप हुआ था। हापुड़, धौलाना, हाफिजपुर के गांव अयादनगर, कांटीखेड़ा, महमूदपुर, सलाई, नवादा, हसनपुर, नली हुसैनपुर आदि में पशु ज्यादा बीमार हो रहे हैं। गांवों में पशुओं को उपचार देने के लिए पशुपालन विभाग की सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में पशुपालक निजी व झोलाछाप पशु चिकित्सकों से उपचार कराने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि दिन प्रतिदिन यह रोग फैलता जा रहा है। अयादनगर निवासी जितेंद्र ने बताया कि गांव में लगातार इस बीमारी से पशुओं की मौत हो रही है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है। गांव काठीखेड़ा निवासी अभय कुमार ने बताया कि गांव में अभी तक करीब 40 पशुओं की मौत हुई है। गांव में टीमें आई थीं लेकिन अब एक बार फिर स्थिति खराब है।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एलएन शुक्ला- ने बताया की इस मौसम में पशुओं में इस प्रकार की दिक्कतें आ जाती हैं। जिस गांव में बीमारी की सूचना मिलती है, वहां टीम जाती है। इन गांवों के लिए भी टीम गठित कर दी गई हैं। इसके अलावा किसी का पशु बीमार है तो वह 1962 पर फोन पर जानकारी दे सकता है। उपचार के अभाव में पशुओं की मौत नहीं होने दी जाएगी।