हापुड़ में मां शैलपुत्री की पूजा और कलश स्थापना के साथ मंगलवार से सिद्धि योग में नवरात्र शुरू हो रहे हैं। मंदिरों और घरों में तैयारियां पूरी कर ली गई है। घरों में मां का दरबार सजाकर तैयार हैं। वहीं, मंदिरों को भी रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया है। सोमवार को व्रत, पूजन और सामग्री के लिए बाजार में भीड़ लगी रही। देर रात तक बाजार गुलजार रहे।
चैत्र नवरात्र मंगलवार से प्रारंभ हो गए है। मंगलवार में अश्विनी नक्षत्र होने से अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहा है। चैत्र प्रतिपदा के साथ ही नवसंवत्सर पिंगल की शुरुआत होगी। नवसंवत्सर के राजा मंगल और मंत्री शनि होंगे। इसके साथ ही मां गौरी की आराधना का नौ दिवसीय महापर्व चैत्र नवरात्र के व्रत भी आरंभ हो जाएंगे। माता का आगमन अश्व पर और विदाई हाथी पर होगी। नवरात्र में माता के भक्त व्रत रखकर मां की आराधना करेंगें। प्रथम दिन कलश स्थापना भी की जाएगी।
नवरात्र को लेकर हर जगहों पर मंदिर सज गए हैं। मंदिरों को फूलों और रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया है। वहीं, नवरात्र के लिए पूजा-सामग्री की खरीदारी के लिए बाजारों में रौनक दिखाई दी। लोग पूजा का सामान खरीदने के लिए बड़ी संख्या में बाजार पहुंचे। वहीं, घरों में भी नवरात्र की पूरी तैयारी हो गई है। घर-घर में माता की चौकी सज गई है।
पंडित ऋषि कौशिक ने बताया कि इस बार पांच दुर्लभ योग बन रहे हैं। नवरात्र के नौ दिनों में महागौरी के नौ स्वरुपों की शैलपुत्री, ब्रह्मवारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा होगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित संतोष तिवारी ने बताया कि प्रथम नवरात्र में स्थापित मंगल कलश को मां देवी का स्वरुप मानकर प्रतिदिन उसकी पूजा करें। कलश के नीचे जौं बोए, पीली मिट्टी में जल प्रतिदिन चढ़ाए। इसके बाद सिंदूर या रोली का तिलक करें। माला चढ़ाए और धूप दीप दिखाकर भोग लगाना चाहिए।