हापुड़ जिले की 36 सहकारी समितियों में 19 पर सोमवार को डीएपी खत्म हो गया। किसान उर्वरकों के लिए दिनभर भटकते रहे, 17 अन्य समितियों पर भी डीएपी की किल्लत बनी रही। एक किसान को अधिकतम तीन से चार कट्टे ही मिले। नकद केंद्रों से डीएओ ने किसानों को उर्वरकों उपलब्ध कराए।
जिले में आलू और गेहूं की बुवाई चल रही है। लेकिन, खाद का संकट किसानों के लिए बाधा बन गया है। हर रोज 100 एमटी से अधिक डीएपी की डिमांड बनी हुई है। पिछले दिनों करीब 1400 एमटी डीएपी की रैक जिले को आवंटित हुई थी। लेकिन अब समितियों पर डीएपी की किल्लत शुरू हो गई है। त्योहारों के कारण सप्लाई समितियों तक नहीं पहुंच पाने के कारण अब स्टॉक खत्म होने लगा है।
सोमवार को शहर के आस पास की अधिकांश समितियों पर डीएपी नहीं मिला। गन्ना समितियों के केंद्रों पर भी हालत कुछ इसी तरह की रही। किसानों ने जिला कृषि अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया। जिस पर उन्होंने किसानों को नकद केंद्रों से निर्धारित सीमा के अनुसार उर्वरक उपलब्ध कराए। साथ ही उन्होंने किसानों से आलू बुवाई में एनपीके और गेहूं बुवाई में डीएपी के प्रयोग की अपील की। वहीं, जिम्मेदारी समितियों के लिए बफर गोदाम में करीब 12 ट्रक डीएपी का स्टॉक होने का दावा करते रहे। लेकिन समितियों पर सोमवार को डीएपी नहीं पहुंच सका।
एआर कोऑपरेटिव प्रेम शंकर- ने बताया की डीएपी की रैक इसी सप्ताह आ जाएगी। मंगलवार को जिन समितियों पर डीएपी नहीं है। उपलब्ध करा दिया जाएगा। एक किसान को अधिकतम चार कट्टा डीएपी देने के निर्देश हैं। बफर गोदाम में अभी डीएपी का स्टॉक उपलब्ध है।