हापुड़ में माह ए रमजान की शुरुआत मंगलवार से हो गई है। सुबह सहरी के बाद रोजदारों ने रोजा रखकर बुराइयों से तौबा की और इबादत में मशगूल हो गए। मजिस्दों के साथ घरों में भी कुरान ए पाक की तिलावत की गई। वहीं मस्जिदों में ईशा की नमाज के बाद तराहवीह का सिलसिला शुरू हो गया है। बच्चों से लेकर बूढ़े तक रोजा रखकर खुदा की इबादत कर रहे हैं।
इस्लाम को मानने वालों के लिए रमजान का महीना काफी अहम होता है। रमजान के इस पाक महीने में मुसलमान रोजा रखते हैं। रोजेदार पूरे महीने अल्लाह की इबादत करते हैं नेक कामों में खुद को व्यस्त रखते हैं। इस्लाम में मान्यता है कि इस माह-ए-रमजान में रोजे रखने से अल्लाह की रहमत नूर बनकर बरसती है। रमजान के महीने में रोजेदार पांच वक्त की नमाज के साथ ही तरावीह की नमाज भी अदा करते हैं।
मस्जिदों में उलेमाओं ने रमजान के पाक माह पर रोशनी डालते हुए कहा कि रमजान इबादत और फजीलत का महीना है। इसमें किए गए सबाब का फल कई गुना अधिक मिलता है। रोजे का मतलब दिनभर सिर्फ भूखे प्यासे रहना नहीं है। सभी तरह की बुराइयों से तौबा करना भी है। रमजान में हर अंग का रोजा होना चाहिए, यानी हाथों से न कोई गलत काम करना चाहिए और न ही जुबान से गलत बोलना चाहिए। इसके अलावा आंख, नाक, पैर सहित सभी अंगों पर नियंत्रण रखना चाहिए, ताकि इससे कोई गलत कार्य न हो सके। रोजेदार रोजा रखकर अल्लाह की इबादत में मशगूल रहे।
पुराना बाजार, सराय बसारत अली, सराय चांद खां, नूरबफान गंज, मरकज मस्जिद, रफीकनगर, मजीदपुरा, किला कोना, सिंकदरगेट, पीरबाउद्दीन, मोती कॉलोनी, कोटला सादात सहित सभी मजिस्दों में नमाजियों की भीड़ रही। दिनभर रोजा रखने के बाद शाम को मस्जिदों और घरों में इफ्तारी की गई। इसके बाद मस्जिदों में ईशा की नमाज के बाद तरावीह की नमाज अदा की गई।