जनपद हापुड़ में किसानों को जागरूक करने के लिए सरकार का मेरी पॉलिसी मेरा हाथ अभियान शुरू, किसानों को पॉलिसी बुक वितरित की जा रही है।
यह अभियान 5 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर तक चलेगा। परंतु केंद्र-प्रदेश सरकार के इतने प्रयास के बाद भी किसान फसलों का बीमा लेने के लिए तैयार नहीं है। अगर बीमा कंपनी के आंकडों पर गौर की जाएं तो वेस्ट यूपी के पांच जिले सबसे लास्ट में है।
जिनमें मुजफ्फरनगर 251, बागपत 425, शामली 526, गाजियाबाद के 769 तथा मेरठ के 1018, सहारनपुर के 1094, हापुड़ में 1331 तथा बुलंदशहर के 15175 किसानों ने बीमा कराया है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वेस्ट के किसानों को रास नहीं आ रही है। उधर, सरकार ने फसल बीमा योजना को स्वैच्छिक कर दिया है। इसका असर खरीफ की फसल में देखने को मिला है।
मेरठ-सहारनपुर मंडल के जिलों में इस वर्ष हजारों किसानों ने फसल बीमा योजना से तौबा कर लिया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत किसान खरीफ की फसल का बीमा कराने के लिए किसानों को दो फीसदी प्रीमियम देना पड़ता है।
योजना के तहत बीमित किसान को बाढ़, आंधी, ओले, तेज बारिश, असमय बारिश होने पर बीमा क्लेम देने का प्रावधान है। जो आड़े वक्त काम आता है, किसान फसल बीमा को लेकर उत्साहित नहीं है।
उप कृषि निदेशक-वीबी द्विवेदी ने बताया है कि आपदा में किसानों के लिए फसल बीमा बहुत ही उपयोगी है, लेकिन योजना को स्वैच्छिक कर दिए जाने से किसानों की संख्या घटी है।
हालांकि किसानों को समझाने का प्रयास किया जा रहा है कि आपदा के समय मिलने वाला क्लेम आड़े वक्त में काम आता है। बैंक शाखा साथ नहीं दे रही जबकि इधर खरीफकी फसल में केवल धान ही ज्यादा बोई जाती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा करने वाली कंपनी के आंकड़ों के अनुसार वेस्ट यूपी में मेरठ, शामली और बागपत जिलों में गैर ऋणी किसानों ने ज्यादा बीमा कराया है।