जनपद हापुड़ में ऊर्जा निगम में नलकूप के बिलों में 600 करोड़ के घोटाले ने किसानों के लेजर बिगाड़ दिए हैं। जिन्हें 20 सालों में संशोधित नहीं किया गया है। जिले के 25 हजार किसान प्रभावित है। मैनुअल तरीके से ही बिल जमा किया जा रहा है, जो बाद में फिर परेशानी का सबब बन सकता है।
2004 में बिल घोटाला सामने आया था, उस दौरान रिकॉर्ड को जला दिया गया। बहुत सी रसीदों को नाले में बहाया गया, जो बरामद भी हुई। अनेकों एजेंसियां इस प्रकरण की जांच करती चली आ रही हैं। लेकिन अभी तक दोषियों पर कार्यवाही तो दूर घोटाले की पर्त तक नहीं खुल सकी हैं। इस घोटाले में फंसे 25 हजार किसानों को गलत बिल दिए जा रहे हैं। इसका बड़ा कारण यह है कि किसानों के लेजर ही ठीक नहीं हैं। 20 सालों में न जाने कितने एक्सईएन, अधीक्षण अभियंता बदले लेकिन इस मामले में किसी ने हाथ डालना मुनासिब नहीं समझा।
जहां पारदर्शिता बनाने के लिए हर सुविधा ऑनलाइन की जा रही है। वहीं, हापुड़ के 25 हजार किसान इससे अछूते हैं। इसके कारण जिले के करीब 25 हजार किसानों को ऑनलाइन बिल जमा करने का लाभ ही नहीं मिल रहा। क्योंकि उनके लेजर में घोटाले की रकम को जोड़ दिया गया है। यही कारण है कि किसानों के पास रसीदें उपलब्ध होने के बावजूद उनके बिलों से इस बकायेदारी को नहीं हटाया जा रहा है।
घोटाले का दंश झेल रहे किसानों को अपना बिल जमा करने के लिए पहले ऊर्जा निगम के कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते है। वहां पुरानी रसीदें दिखानी पड़ती है, जिसके बाद लिपिक मैनुअल बिल बनाते हैं, जिसकी दरों का किसानों को कोई ज्ञान नहीं होता। फिर भी जितना हाथ से पैसा लिख दिया जाता है किसान उसे जमा करते हैं।
अधीक्षण अभियंता यूके सिंह- ने बताया की इस मामले की उच्चस्तरीय जांच चल रही है, जैसे आदेश मिलेंगी कार्रवाई की जाएगी। इस तरह के किसानों को जल्द ही ऑनलाइन बिल जमा करने की सुविधा मिलेगी।