हापुड़ के मौसम में जल्द आई गर्माहट से गेहूं की फसल का पौधा छोटा रह गया है। महमार थम सी गई है, जिसका असर उत्पादन पर पड़ेगा। जनवरी में लगी फसल पर अगर और अधिक दिख रहा है। साथ ही दलहन और आलू की फसल पर भी गर्मी का प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
इस बार मौसम की मार ने सभी किसानों की नींद उड़ा दी है। इस बार जनवरी और फरवरी में मौसम ने कुछ अलग ही तेवर दिखाए हैं, जिसकी वजह से गेहूं की फसत कमजोर और बोनी होती नजर आ रही है। किसानों के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि मौसम के कारण, गेहूं के दाने हल्के ओर छोटे हो सकते हैं।
जिले में बड़े पैमाने पर गेहूं की बुवाई होती है। आमतौर पर नवंबर से ही किसान मेह को शुरू कर देते हैं जनवरी तक होती है। लेकिन इस बार दिसंबर महीने के अंत और जनवरी के शुरूआत में ही दो बार बरसात हो गई जिस कारण जनवरी में गेहूं की बुवाई बहुत कम हुई।
ऐसे में फसल का रकबा घटने के पहले ही आसार हैं, जबकि अब फरवरी के मध्य में ही तापमान 29 डिग्री तक पहुंच गया है। इस तापमान में गेहूं का पौधा नहीं बढ़ पा रहा है। दिसंबर की शुरूआत तक जिन खेतों में बुवाई हो गई थी, वहां फसल अच्छी है। लेकिन पछैती गेहूं का पौधा छोटा रह गया है।
आलम यह है कि जहां अगैती फसल में बाली निकल आई हैं, वहीं पछैती फसल का पौधा अभी एक फुट का भी नहीं हो पाया है। ऐसे में उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, भूसा निकासी भी सामान्य नहीं रहेगी। इसके साथ ही दलहन में मसूर और आलू की फसल को भी यह मौसम रास नहीं आ रहा है। हालांकि आलू की खुदाई किसानों ने शुरू कर दी है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ.अशोक- ने बताया की बढ़ता तापमान में गेहूं की फसल के लिए अच्छा नहीं है। फिलहाल गेहूं को कम तापमान में जरूरत है। किसान खेतों में नमी बनाकर रखें, रोगों की भी निगरानी करते रहें।