जनपद हापुड़ के विद्युत विभाग में करीब 25 साल पहले नलकूपों के बिलों व अभिलेखों में हेराफेरी कर करीब 600 करोड़ का गबन किया गया था।
लेकिन 18 साल पहले यानी 2004 में घोटाले की खबर लगीं, तो सभी के होश उड़ गए। लेकिन स्थानीय स्तर पर कई अधिकारियों व कर्मचारियों पर गाज गिरी।
बता दें कि ऊर्जा निगम में करीब 18 साल पहले किसानों के जमा नलकूप बिलों के लेजर में हेराफेरी कर करोड़ों रूपए का घोटाला किया गया था। घोटाले की जांच अबतक पूरी न होने से किसानों को लाखों रूपए का बकाया बिल भेजा जा रहा हैं।
किसान लंबे समय से मामले की जांच कराकर किसानों को राहत देने की मांग कर रहे थे। वर्ष 2019 में तत्कालीन डीएम अदिति सिंह ने शासन से प्रस्ताव कर मामले की उच्च स्तरीय जांच शुरू कराई थी। जांच के दौरान टीम ने विभाग के रिकॉर्ड रूम खंगाल कर कई अहम दस्तावेज अपने साथ ले गए थे।
लेकिन अभी तक भी इसकी जांच पूरी नहीं हो सकीं है। अब विभाग के एक पूर्व कार्यालय सहायक केके अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर जांच में सहयोग करने और अहम साक्ष्य उपलब्ध कराने की इच्छा जताई हैं।
उन्होंने पत्र में कहा कि इस घोटाले के संबंध में विभाग के कुछ लोगों द्वारा कुछ रिकॉर्ड भेजे गए है। उन्होंने साफ कहा कि किस अधिकारी व कर्मचारी ने किस-किस प्रकार और कब-कब क्या किया, इसकी पूरी जानकारी है। उन्होंने अध्यक्ष को पत्र लिखकर जांच में सहयोग देने की इच्छा जताई।
पूर्व कार्यालय सहायक द्वारा साक्ष्य उपलब्ध कराने की बात से विभाग के कई तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों की नींद उड़ गई हैं। ऐसे में अगर जांच पूरी होती है, तो कई अधिकारियों व कर्मचारियों पर गाज गिरनी तय है।
ऊर्जा निगम, पूर्व कार्यालय सहायक, केके अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर जांच में सहयोग करने व साक्ष्य भी उपलब्ध कराने की इच्छा जताई गई है। अगर पत्र के बाद कोई जवाब आता है, तो जांच में पूरा सहयोग किया जाएगा।