हापुड़। अटूटा छोईया के पास दो बिजलीघरों की 33 केवी लाइन लाइन की शिफ्टिंग पूर्व नियोजित थी। अधिकारियों से बात छिपाने के लिए सिर्फ तार ऊंचे करने का एस्टीमेट बनाया गया। जिस वजह से एस्टीमेट एसई कार्यालय तक भी नहीं पहुंचे। यह कार्य कार्यदायी संस्था से भी नहीं कराया गया और न ही खंभे ऊर्जा निगम के भंडार गृह से मंगाए गए।
दरअसल, 33 केवी लाइन को शिफ्ट करने के लिए अनुमति एमडी कार्यालय से लेनी आवश्यक है। इसके लिए एस्टीमेट जेई बनाकर, एसडीओ, एक्सईन, एसई, मुख्य अभियंता और एमडी कार्यालय तक भेजते हैं। यह लंबी प्रक्रिया है। अटूटा छोईया के पास जिस लाइन पर यह कार्य हुआ वह भी इसी प्रक्रिया से होना था।
लेकिन अधिकारियों से बात छिपाने के लिए सांठगांठ कर इस प्रक्रिया को दरकिनार कर तार ऊंचे करने का एस्टीमेट बनाया था, जिसे पास कराने के लिए उच्चाधिकारियों तक फाइल भेजने की कोई आवश्यकता ही नहीं पड़ती। इसलिए एस्टीमेट एसई कार्यालय तक भी नहीं पहुंचे। जिसकी आड़ में हाईटेंशन लाइन हाईवे पर शिफ्ट की गई।
बड़ा मामला यह है कि संबंधित बिजलीघर के अवर अभियंता अवकाश पर थे। दूसरे जेई को चार्ज दिलाकर यह कार्य कराया गया। उपखंड क्षेत्र और डिवीजन के अधिकारियों की भी इस कार्य में सीधी जवाबदेही है, क्योंकि मामला 33 केवी लाइन से जुड़ा है।
बता दें कि गढ़ डिवीजन में डिपोजिट के कार्य के लिए एक फर्म को नामित किया गया है, लेकिन यह कार्य उस फर्म से भी नहीं कराया गया। बल्कि थर्ड पार्टी से कार्य कराया गया। इस प्रकरण मे अधीक्षण अभियंता ने गढ़ डिवीजन के अधिशासी अभियंता को पत्र जारी कर मामले की जांच के आदेश दिए हैं। मुखय अभियंता ने भी मामले का संज्ञान लिया है।
अधीक्षण अभियंता एसके अग्रवाल- ने बताया की प्रकरण संज्ञान में है। जांच के लिए लिए अधिशासी अभियंता गढ़ को पत्र लिखा है। इस मामले में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होगी।