हापुड़। हापुड़ और गढ़ डिवीजन में ऊर्जा निगम के डिपोजिट के कार्यों के लिए पिछले दिनों निकाले टेंडरों में अनियमितता के आरोप लगे हैं। मामले में जांच शुरू होने के कारण फाइल मुख्य अभियंता कार्यालय में अटक गई है। एमडी कार्यालय तक भी शिकायत पहुंच गई है, ऐसे में अब कार्यवाही की तलवार भी लटक गई है।
पूर्व में टेंडर में अनियमितता के मामले अभी दबे नहीं हैं, कि फिर इस तरह की निविदाएं सामने आ गई हैं। दरअसल, विद्युतीकरण के कार्य कराने के लिए अधीक्षण अभियंता कार्यालय से 20-20 लाख के दो टेंडर निकाले गए थे। दोनों ही टेंडर जिले में पुराने समय से कार्य कर रहे ठेकेदारों को मिले हैं। लेकिन जब निविदा में सामग्री की सच्चाई सामने आई तो मामला गरमा गया।
गढ़ डिवीजन के लिए 20 लाख की निविदा में सिर्फ 140 खंभे व अन्य सामग्री शामिल की गई है। जबकि हापुड़ डिवीजन के लिए निकाली गई 20 लाख की निविदा में 435 खंभे व अन्य सामग्री शामिल की गई है। दोनों निविदाएं एक ही रकम की हैं, फिर भी खंभों में तीन गुना तक का अंतर है। चर्चा है कि चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए उनकी संयुक्त बैठक के बाद इस तरह की निविदाएं निकाली गई हैं। बहरहाल, इस मामले में ईमेल के जरिए आशीष गौतम ने एमडी कार्यालय में शिकायत की है। जिस पर अधिकारियों ने संज्ञान लिया है। मुख्य अभियंता कार्यालय से फिलहाल टेंडर की फाइल को अनुमति नहीं मिल सकी है। बल्कि कमेटी इस प्रकरण की जांच में लग गई है।
अधीक्षण अभियंता एसके अग्रवाल- ने बताया टेंडर प्रक्रिया में किसी तरह की अनियमितता नहीं की गई है, शिकायत पूरी तरह निराधार है। दोनों निविदाओं में सामग्री की मात्रा अलग अलग ली गई है, इसलिए खंभे ज्यादा और कम हैं।