हापुड़ में एकल होते परिवार और अपनों का समय न मिलने से 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग मेजर डिप्रेशन डिस्ऑर्डर (अवसाद) का शिकार हो रहे हैं। ओपीडी में इस तरह के मरीजों की संख्या बढ़ी है। गंभीर शासन ने हापुड़ के दो चिकित्सकों की स्पेशल ट्रेनिंग कराई है, इसमें बुजुर्गों को दिए जाने वाले उपचार, काउंसलिंग और हेल्पलाइन नंबर शामिल किए गए हैं।
फिजिशियन और प्रशिक्षण लेकर लौटे डॉ. अशरफ अली ने बताया कि वर्तमान में 60 साल से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों की जनसंख्या कुल जनसंख्या की 10 फीसदी है। एक शोध में बताया गया है कि 2050 तक इस आयु वर्ग की जनसंख्या 20 फीसदी हो जाएगी। ऐसे में बुजुगाँ के उपचार को लेकर लखनऊ में तीन दिन का प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने बताया कि काउंसलिंग में पता चला है कि जिन बुजुर्गों को अपने परिवार वालों का समय नहीं मिलता है। वह अकेले पड़ जाते हैं और मेजर डिप्रेशन डिस्ऑर्डर के शिकार हो जाते हैं। चिड़चिड़ापन, हर बात में दखल समेत कई गतिविधियां बढ़ जाती हैं।
जिसको लेकर शासन गंभीर है, चिकित्सक उपचार, काउंसलिंग और अपनापन दिखाएंगे। डॉ. हनीफा ने बताया कि इन बीमारियों से बचाव के लिए बुजुर्गों को समय देना चाहिए। साथ ही उनकी सेहत पर भी ध्यान रखनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में भी अब बुजुर्गों के इलाज पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। इसमें दवाओं की डोज से लेकर काउंसलिंग को शामिल किया गया है। बुजुर्गों की समस्याओं के निस्तारण के लिए हेल्पलाइन नंबर 14567 भी जारी किया गया है, इस पर बुजुर्ग परामर्श ले सकते हैं।
अकेलापन मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या मानी जाती रही है, दुनिया की बड़ी आबादी इसकी शिकार है। कहते है, लंबे समय तक बनी रहने वाली अकेलेपन की समस्या न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, इसके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर देखे जाते रहे हैं। दीर्घकालिक अकेलापन अवसाद, चिंता जैसी गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकती है।
अपने घर के बुजुर्गों का रखें ध्यान :
■ जितना अधिक हो सके अपने घर के बुजुर्गों से बात करें और उनकी जरुरतों को समझें।
■ शौचालय कमरे के पास होने चाहिएं।
■ शौचालय में बैठने वाली सीट (अंग्रेजी सीट) होनी चाहिए।
■ बुजुर्गों के कमरे आदि में प्रकाश की उचित व्यवस्था रहे।
■ पैरों में उलझने वाली चीजों को इनके पास से दूर रखें।
■ जिस तरह बच्चों को दवा की कम डोज दी जाती है, बुजुर्गों को भी कम डोज की आवश्यकता होती है।