हापुड़ में कड़ाके की सर्दी में मरीजों के कान के पर्दे पर असर पड़ रहा है। कान बहना व सूजन की शिकायत लेकर मरीज अस्पताल आ रहे हैं। ईएनटी की ओपीडी में मरीजों की संख्या 120 तक पहुंच गई है। तापमान के गिरने और वायु मंडल में बढ़ते प्रदूषण से खांसी, जुकाम, कान, नाक और गले में संक्रमण बढ़ रहा है। सबसे अधिक मरीज कान में संक्रमण के आ रहे हैं।
वैसे तो गर्मी के बाद लोगों को बेसब्री से सर्दियों का इंतजार रहता है लेकिन सर्दी का मौसम जितना अच्छा होता है उतनी ही दिक्कतें भी बढ़ जाती हैं। सर्दियों के मौसम में कई तरह की बीमारियां भी तेजी से फैलने लगती हैं। सर्दी, जुकाम, बुखार जैसी बीमारी तो आम हैं लेकिन कई बार डेंगू जैसी गंभीर बीमारियां भी ठंड के दिनों में ज्यादा बढ़ जाती हैं। सर्दियों में कई बार लोगों को कान में दर्द की समस्या भी होती है।
संक्रमण: कई बार जिन लोगों को जुकाम होता है उनमें भी कान दर्द की समस्या पाई जाती है। बैक्टीरिया यूस्टेशियन ट्यूब जो कान से गले तक जुड़ती है इसी के माध्यम से कान तक चले जाते हैं. संक्रमण सर्दियों में कान दर्द की एक बड़ी वजह हो सकता है। संक्रमण की वजह से ही कान से तरल पदार्थ भी बहने लगता है।
जिला अस्पताल की ईएनटी डॉ. मोहिनी सिंह ने बताया कि ठंड के मौसम में सर्दी-जुकाम होना आम बात है। जुकाम में मरीजों की नाक बहती है। इस कारण नाक से कान के बीच स्थित यूस्टेकियन ट्यूब में नाक से पानी चला जाता है। इस पानी के कारण कान में संक्रमण हो जाता है। कई बार कफ के कारण भी ट्यूब ब्लॉक हो जाता है। इससे कान में संक्रमण होने के साथ ही सुनने की क्षमता भी कम हो जाती है। वयस्कों की तुलना में बच्चों में कान का संक्रमण अधिक होता है। इस समय जिला अस्पताल में ही 80 से 120 मरीज प्रतिदिन कान में दर्द व संक्रमण के आ रहे हैं।