जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर के बागों में फलों के राजा आम की फसल पकने लगी है। गढ़ क्षेत्र में बड़े स्तर पर बागवानी होती है। क्षेत्र के बागों में सबसे पहले दशहरी और मुंबई प्रजाति के आम पकने शुरू होंगे। जून के दूसरे पखवाड़े में आम पूरी तरह पककर तैयार हो जाएंगे।
गर्मी का मौसम तो वैसे किसी को खास पसंद नहीं है, लेकिन एक वजह ऐसी है, जो इस मौसम को खास बना देती है। क्योंकि फलों का राजा आम का मौसम यही है।आम पट्टी के नाम से मशहूर गढ़ के बागों में दशहरी, लंगड़ा, मुंबई, गुलाब जामुन, खासुल खास, चौसा समेत दर्जनभर से अधिक प्रजाति के आम पाए जाते हैं। इनमें सबसे पहले दशहरी, मुंबई आम का स्वाद लोगों को चखने को मिलता है। वहीं चौसा प्रजाति का आम सबसे बाद में पकता है। आम उत्पादक पिछले कई महीने से आम की फसल तैयार करने के लिए बागों की सिचाई एवं धुलाई करते हुए देखभाल करने में जुटे हैं।
गर्मी जब परवान चढ़ती है तो फल के बाजार आम की खुशबू से महकने लगते है। बागवान फसल को पकाने में जुटे हुए है। आम के पकने का समय नजदीक आ चुका है। आम उत्पादकों का मानना है कि जून के दूसरे पखवाड़े में आम पकने शुरू हो जाएंगे।
हालांकि बागों में खुश्की के चलते पेड़ों से गिरने वाले कच्चे आम को कार्बेट से पकाकर बेचना शुरू कर दिया है। लेकिन, कार्बेट से पकाएं आम में जायका नहीं है। आम उत्पादक अनीस का कहना है कि दशहरी, लंगडा और चौसा प्रजाति का आम खरीदने के लिए दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड से व्यापारी हर वर्ष यहां आते हैं और कारोबारियों से आम खरीद कर ले जाते हैं। आम खरीदने के लिए व्यापारी जून के महीने में आ जाते हैं।