जनपद हापुड़ में स्वास्थ्य विभाग के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट की सप्लाई नहीं हो रही है। मरीजों को कंसंट्रेटरों से ही सप्लाई दी जा रही है।
जिले की पांच सीएचसी और एक जिला अस्पताल में लगे सात ऑक्सीजन प्लांट की क्षमता प्रति मिनट 500 से 1000 लीटर ऑक्सीजन बनाने की है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की भारी कमी पड़ने पर एनजीओ के माध्यम से यहां प्लांट लगवाए गए थे। हापुड़ सीएचसी व जिला अस्पताल को छोड़कर किसी अन्य अस्पताल में गंभीर मरीजों के उपचार की बेहतर सुविधाएं नहीं हैं।
ऐसे में आपात वार्ड से लेकर जनरल वार्ड तक ऑक्सीजन वाले मरीजों को रेफर ही करना पड़ता है, उन्हें रेफर करना ही एक मात्र विकल्प है। हर महीने 120 से ज्यादा जंबू और इसके डेढ़ गुना बी टाइप सिलेंडर की खपत बच्चा नर्सरी और आईसीयू में हो जाती है, इन सिलिंडर की खरीद एक फर्म से ही की जाती है।
ऑक्सीजन प्लांट चलाने के लिए सीएचसी में तैनात टेक्नीशियनों को ही ट्रेनिंग दी गई है। लेकिन प्लांट को चलाना तो दूर इनके ताले तक नहीं खोले जाते हैं।
यहां तक की मॉकड्रिल के दौरान भी ऑक्सीजन प्लांट नहीं चलाए गए। दिलचस्प बात यह है कि सीएचसी व जिला अस्पताल में एक दिन में उत्पादित ऑक्सीजन को पूरे महीने चलाया जा सकता है, लेकिन अधिकारी इस झंझट में नहीं पड़ते हैं।