हापुड़ शहर की 3.61 लाख आबादी को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति के लिए अमृत योजना फेज-2 परवान नहीं चढ़ पाई है। नगर पालिका के जिम्मेदार दो सालों में जमीन तक उपलब्ध नहीं करा सके। जिस कारण योजना में आवंटित 125 करोड़ का बजट वापस शासन को भेज दिया गया है। शहरवासियों को सीमित पेयजल के संसाधनों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा।
शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए केंद्र सरकार ने अमृत योजना शुरू की थी। इसके तहत सड़क, नाले, ड्रेनेज सिस्टम, सीवरेज पाइप लाइन और पेयजल पाइप लाइन पर काम होना था। हापुड़ नगर पालिका को भी योजना के तहत चिन्हित किया गया था। जल निगम द्वारा हापुड़ पुनर्गठन अमृत योजना 2.0 ट्रेंच के अंतर्गत हापुड़ शहर में चार ओवरहेड टैंक, छह भूमिगत टैंक का निर्माण व 17 नलकूप लगाए जाने थे। इस कार्य के लिए जल निगम को 125 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके थे। इसके लिए नगर पालिका को शहर में नलकूप और ओवरहेड टैंक के लिए जमीन की तलाश करनी थी।
जिसमे अमृत योजना के तहत स्वछ पेयजल का कार्य होना था, लेकिन दो सालों में अधिकारी जमीन तक मुहैया नहीं करा सके। जल निगम के बार-बार पत्राचार के बाद भी निर्माण के लिए नगर पालिका द्वारा भूमि उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। जिससे पेयजल योजना अटकी रह गयी।
योजना के अंतर्गत जर्जर हो चुकी 85 किलोमीटर पुरानी पाइप लाइन को बदला जाना था। बता दें कि अभी तक एक कनेक्शन पर औसतन 60 लीटर पानी मिलता है, नलकूप लगने और औवरहेड टैंक बनने के बाद इसकी क्षमता दोगुना हो जाती। लेकिन जमीन नहीं मिलने के कारण योजना का करीब 125 करोड़ वापस शासन को भेज दिया गया है।
जल निगम सहायक अभियंता नसीम अहमद- ने बताया की अमृत योजना फेज- 2 के जोन प्रथम व द्वितीय में 125 करोड़ से कार्य होने थे। लेकिन नगर पालिका के अधिकारियों ने जमीन उपलब्ध नहीं कराई। जिसके कारण यह पैसा शासन को वापस भेज दिया गया है। बाद में कुछ जमीन जरूर दी गई थी, लेकिन तब तक समय निकल चुका था।