हापुड़ में नए सत्र के शुरू होते ही अभिभावक परेशान हो गए हैं। नया शैक्षिक सत्र शुरू हो गया है, ऐसे में किताबों के बाद अब ड्रेस भी चुनिंदा दुकानों से ही मिलनी शुरू हो गई हैं। बहुत से स्कूलों ने नोटिस भी लगा दिए हैं। फीस से लेकर किताब, ड्रेस व अन्य सुविधाओं के खर्च बढ़ाए जा रहे हैं। इन दुकानों पर बाजार से दो से तीन गुना दामों पर ड्रेस मिल रही है। स्कूलों के अन्य बढ़े शुल्क भी अभिभावकों का बजट बिगाड़ रहे हैं।
समाज, सभ्यता सुधार के लिए भले ही पढ़ाई सबसे महत्वपूर्ण है। लेकिन बहुत से स्कूलों ने इसे पूरी तरह व्यवसायिक बना दिया है। स्कूलों की ओर से अभिभावकों को कॉपी किताबों की लिस्ट और दुकान का नाम सौंप दिया गया है जहां मनमाने दाम पर सामान दिया जा रहा है। और तो और ऐसे में किताबों के बाद अब ड्रेस भी चुनिंदा दुकानों से ही मिलनी शुरू हो गई हैं। हर साल दस से 15 फीसदी स्टेशनरी शुल्क बढ़ रहा है।
इन दिनों नए सत्र को लेकर ड्रेस की खरीदारी भी शुरू हो गई है। लेकिन जिले के बहुत से नामचीन स्कूलों ने इसके लिए कुछ चुनिंदा दुकान ही चिन्हित की हुई हैं। ड्रेस में इस तरह के कलर कोड डाले गए हैं, जो बाजार में मिलने मुश्किल है। कपड़े की गुणवत्ता के अनुसार बाजार में इस तरह के कपड़े के दाम काफी कम हैं। स्कूलों ने एडमिशन चार्ज भी 10 हजार से अधिक रखा हुआ है। कई स्कूलों ने तो 20 हजार तक रखा है, हालांकि अभिभावकों के कहने पर इसमें कुछ छूट दे दी जाती है। एक हजार रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क लिया जा रहा है, टेस्ट में बच्चे के फेल होने पर यह वापस भी नहीं मिलता।
डीआईओएस कार्यवाहक डॉ. शैलेंद्र कुमार- ने बताया की स्कूल अभिभावकों को कोर्स, ड्रेस के लिए बाध्य न करें। नियम अनुसार ही फीस में इजाफा करें। अभिभावकों की शिकायत मिलने पर आवश्यक कार्यवाही होगी।