जनपद हापुड़ के ब्रजघाट गंगा में पानी की शुद्धता होने से डॉल्फिन का कुनबा बढ़ता नजर आ रहा है। इस साल की गई गणना के अनुसार गंगा में 52 डॉल्फिन मिली हैं। इनके साथ ही डॉल्फिन के पांच बच्चे भी मिले हैं, जबकि पिछले साल गंगा में 50 डॉल्फिन देखी गईं थीं। गंगा में डॉल्फिन की संख्या बढ़ने से डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अधिकारी काफी उत्साहित हैं।
डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया है। इसके संरक्षण के लिए ‘मेरी गंगा मेरी सूंस’ नाम से अभियान चलाया जा रहा है। डॉल्फिन पानी में गोता लगाते हुए तेजी से सांस लेती है, तब सूंस की सी आवाज आती है। इस कारण अभियान का यह नाम रखा गया है। हर साल बिजनौर के गंगा बैराज से नरौरा तक डॉल्फिन की गिनती की जाती है। गंगा में मिलने वाली डॉल्फिन देख नहीं सकती है और ये तरंगों से शिकार करती है। पांच अक्तूबर से गंगा में डॉल्फिन की गिनती का अभियान शुरू किया गया, जो 12 अक्तूबर तक चला।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कॉर्डिनेटर संजीव यादव ने बताया कि डॉल्फिन की हर साल बढ़ती संख्या गंगा में डॉल्फिन के खुशहाल जीवन का संकेत दे रही है। पिछले साल गंगा में 50 डॉल्फिन थीं, जो इस साल इनकी संख्या बढ़कर 52 हो गई है। पिछले साल गंगा में डॉल्फिन के चार बच्चे दिखे थे, इस बार पांच बच्चे दिखे हैं। जीपीएस के आधार पर दो नाव से की गई गणना बहुत ही प्रमाणिक है।
कोऑर्डिनेटर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ संजीव यादव- ने बताया की डॉल्फिन की संख्या बढ़ना बहुत सुखद है। उन्होंने कहा कि लोगों को सभी जलीय जीवों का संरक्षण करते हुए इन्हें कोई हानि नहीं पहुंचानी चाहिए। लोगों को जलीय जीवों के संरक्षण के लिए भी जागरूक किया गया है।