जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और वन विभाग हापुड़ के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार से गंगा में डॉल्फिन की गणना शुरू हो गई। टीम को प्रभागीय वन अधिकारी संजय कुमार मल्ल ने रवाना किया।
गंगा में डॉल्फिन की गणना की जा रही है जिससे डॉल्फिन की संख्या का पता लगाया जा सके। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ भारत के राष्ट्रीय समन्वयक शाहनवाज खान और पर्यावरण विशेषज्ञ संजीव कुमार यादव के नेतृत्व में टीम ने वन विभाग, डॉल्फिन गार्जियन भारत भूषण गर्ग के साथ अपर रामसर साइट में ब्रजघाट से नावों से डॉल्फिन की गणना शुरू की। गणना शुरू होने से पहले स्थानीय नाविकों, श्रद्धालुओं, तीर्थ पुरोहितों के साथ डॉल्फिन संरक्षण और उपयोगिता के बारे में वार्ता की गई। जिसमें भारत ने कहा कि इस क्षेत्र में गंगा में डॉल्फिन का होना हमारे लिए गौरव का विषय है।
डीएफओ हापुड़ संजय कुमार मल्ल ने बताया कि मेरी गंगा मेरी डॉल्फिन 2023 अभियान के तहत गंगा में डॉल्फिन की गणना की जा रही है। इसके लिए डब्लयू डब्लयू एफ और वन विभाग की टीम दोनों की जॉइंट टीमें मिलकर काम कर रही हैं।
वर्तमान में पश्चिमी उप्र के इस भाग में ही डॉल्फिन शेष है। 2005 में रामसर साइट बनाए जाने समय डॉल्फिन की संख्या काफी कम थी, तब से अभी तक इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। पुष्पावती पूठ के निकट चार डॉल्फिन की गणना की गई। शाहनवाज खान ने कहा कि डॉल्फिनों की बढ़ती संख्या इस क्षेत्र के सुदृढ़ पारिस्थितिक तंत्र का मजबूत होना प्रदर्शित करता है। पहले गणना प्रतिवर्ष की जाती थी, लेकिन इस बार दो साल बाद की जा रही है।
इस मौके पर विनय मिश्रा, कुलदीप शर्मा, मूलचंद आर्य, वन क्षेत्राधिकारी करण सिंह, जोगपाल सिंह, महेश केवट, ओम दत्त, राजीव कुमार, दिनेश कुमार समेत अन्य लोग मौजूद रहे।