हापुड़ शहर में कुत्तों और बंदरों का आतंक बढ़ रहा है। इनके डर से लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो रहा है। शनिवार को भी कुत्तों और बंदरों का शिकार 80 से अधिक लोग सीएचसी पहुंचे। आए दिन की घटनाओं के बाद भी नगर पालिका इस समस्या से छुटकारा नहीं दिला पा रही है।
जिलेभर में निराश्रित कुत्तों व बंदरों ने आतंक बरपा रखा है। कुत्ते एवं बंदर रोजाना सैकड़ों लोगों को काटकर घायल कर रहे हैं। कुत्ते बंदर बच्चों से लेकर बड़ों तक को निशाना बना रहे हैं। ऐसे में लोग भयभीत हैं। शहर से लेकर देहात तक यह कुत्ते गलियों में घूमते रहते हैं। कुत्तों के डर से लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। आवारा कुत्ते राह चलते लोगों पर हमला बोल देते हैं। वहीं रात के समय सड़कों पर आवारा कुत्तों का पहरा रहता है। यह कुत्ते सड़क से गुजरने वाले वाहनों के पीछे दौड़ते हैं। पैदल चलने वाले लोगों को तो कुत्ते आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं।
लगभग तीन साल पहले नगर पालिका ने कुत्तों का बंध्याकर कराने के साथ ही बंदरों को पकड़वाने का कार्य भी किया था, लेकिन आज तक पुराने ठेकेदारों का पूरा भुगतान नहीं हो पाया, जिसके कारण कोई अन्य ठेकेदार टेंडर नहीं ले रहा है। यही कारण है कि 10 से अधिक बार टेंडर निकालने के बाद भी निविदा की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। अधिकारियों की इस लापरवाही का खामियाजा शहर की आम जनता भुगत रही है। रोजाना लोग कुत्ते और बंदरों का शिकार हो रहे हैं। इससे लोगों को आर्थिक, मानसिक और शारीरिक नुकसान भी पहुंच रहा है।
सीएचसी में उपचार कराने पहुंची शास्त्री नगर निवासी मुस्कान ने बताया कि उन्हें गली में तीन बार कुत्तों ने हमला कर हाथ पर काटा है। वह और उनका परिवार बहुत अधिक भयभीत हैं। इसी प्रकार गढ़ गेट निवासी अल्तमश, नई शिवपुरी निवासी गर्व अग्रवाल, सुल्तानपुर निवासी जहीर पहलवान और सिकंदर गेट निवासी आठ वर्षीय हमजा पर भी गली में बंदरों और कुत्तों ने हमला कर घायल किया। बिना किसी वजह के उन्हें कई जगह से काटा है।
सीएचसी में एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। अगस्त में करीब दो हजार लोगों को निशाना बनाया है। इस सप्ताह सोमवार से शनिवार तक करीब 645 लोगों का उपचार किया गया है।
ईओ व डिप्टी कलक्टर मनोज कुमार- ने बताया की कुत्तों के बंध्याकर वाले टेंडर में इस बार दो लोगों ने निविदा डाली थी, लेकिन एक ही फर्म क्वालिफाई कर पाई थी। अब फिर से टेंडर निकाला गया है। पुराने भुगतान को लेकर उक्त ठेकेदार को बुला चुके हैं, लेकिन वह कार्यालय नहीं आ रहा है। बंदर पकडने के लिए भी टेंडर जल्द निकाला जाएगा।